मध्य प्रदेश

किसानों ने नहीं चुकाया 155 करोड़ का कर्ज, अब बंधक होगी जमीन, बैंक उठाने जा रहा कड़े कदम …

भोपाल। मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ जिले में सहकारी बैंक से ऋण लेकर जमा न करने वाले किसानों की जमीन को दृष्टि बंधक किया जा रहा है। जिन किसानों द्वारा लंबे समय से ऋण का भुगतान नहीं किया जा रहा है, बैंक ऐसे किसानों की जमीन को राजस्व रिकार्ड में बंधक बता रहा है, ताकि यह किसान किसी दूसरे बैंक से न ऋण ले सकें और न ही बिना ऋण चुकाए अपनी जमीन बेच सकें।

जिला सहकारी बैंक के प्रभारी कार्यपालन अधिकारी अजय सिंघई ने बताया कि जिला सहकारी बैंक से खेती के नाम पर ऋण लेकर उसे जमा न करने से बैंक की उधारी लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे में खस्ता होती बैंक की माली हालत को देखते हुए अब शासन ने ऋण किसानों पर सख्ती करने का मन बनाया है।

इसमें सबसे पहले ऐसे ऋणी किसानों पर कार्रवाई की जा रही है, जिनके द्वारा पुराने ऋणों का भुगतान नहीं किया गया है। सबसे पहले सहकारी बैंक ऐसे कालातीत किसानों की जमीन को दृष्टि बंधक करने में जुट गया है। बैंक द्वारा सहकारी संस्थाओं से मिलकर और प्रशासन के सहयोग से ऐसे सभी किसानों की जमीन को राजस्व रिकार्ड में बंधक दर्ज करा रहा है।

विजय सिंघई के अनुसार जिले में 45 हजार के लगभग कालातीत किसान है। इन किसानों पर बैंक का लगभग 155 करोड़ रुपए बकाया है। इन सभी किसानों की जमीन को दृष्टि बंधक किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इसमें से 30 हजार 586 किसानों की जमीन दृष्टिबंधक की जा चुकी है। देखने में आया था कि बैंक का ऋण न चुकाकर किसान दूसरे बैंकों से ऋण ले रहे थे, ऐसे में बैंक का रुपया वापस नहीं आ रहा था।

वहीं, कई किसानों द्वारा अपनी जमीन बेच देने से बैंक अपना ऋण भी वसूल नहीं कर पा रहा था। उनका कहना है कि अब जमीनों के दृष्टिबंधक होने से दूसरे बैंक को भी इसकी जानकारी होगी और जानबूझकर ऋण न चुकाने वाले किसान चाहकर भी अपनी जमीन नहीं बेच सकेंगे।

यह काम सहकारी समितियों के माध्यम से कराया जाना है, लेकिन कई समितियां इसमें बिलकुल भी रुचि नहीं दिखा रही हैं। ऐसे में यह काम अधूरा पड़ा हुआ है। सूत्रों के अनुसार कई समितियों द्वारा किसानों के नाम पर फर्जी ऋण वितरित किए गए हैं। ऐसे फर्जीवाड़े के कई मामले भी सामने आ चुके हैं। इनमें कुछ किसान ऐसे हैं, जिन्हें इसकी जानकारी भी नहीं है कि उनके नाम पर समिति से ऋण ले लिया गया है। ऐसे में इन समितियों द्वारा काम न करने से यही समझा जा रहा है कि यदि इन्होंने किसानों की जमीन दृष्टिबंधक करा दी तो किसानों को इसकी जानकारी हो जाएगी और भांडा फूट जाएगा।

सिंघई ने इस संबंध में बताया कि अब तक 67% कालातीत (डिफाल्टर) किसानों की जमीन को दृष्टिबंधक किया जा चुका है। शेष के लिए समितियों के माध्यम से काम किया जा रहा है। जल्द ही इस काम को पूरा कर बैंक के ऋण को सुरक्षित किया जाएगा।

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