मध्य प्रदेश

दो दशक बाद भोपाल मास्टर प्लान 2031 का ड्राफ्ट जारी, दावे-आपत्ति के लिए 30 दिन का समय

कोलार, मिसरोद और नेवरी समेत 8 हिस्सों में बांटा शहर

भोपाल। आखिरकार दो दशक के इंतजार के बाद भोपाल को नया मास्टर प्लान मिलने की उम्मीदें बढ़ गई हैं। चुनावी साल के दौरान विधानसभा चुनाव से तकरीबन पांच माह पहले मास्टर प्लान 2031 का ड्राफ्ट जारी कर दिया है। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग द्वारा जारी इस प्रारूप में तीस दिनों के भीतर आम जनता और संस्थाओं से दावे एवं आपत्ति मांगे गए हैं। इस बार मास्टर प्लान 2031 में शहर के दो दशक में हुए विस्तार को देखते हुए इसे आठ हिस्सों में बांटा गया है। सेटेलाइट और जीआईएस बेस्ड सूचना प्रणाली के जरिए ये मास्टर प्लान तैयार किया गया है। 12 महत्वपूर्ण संशोधनों के साथ प्लान तैयार किया गया है। इसमें बड़ी झील के संरक्षण और संवर्धन पर जोर दिया गया है। इसमें दावे-आपत्तियों के लिए 30 दिन का समय दिया गया है। मास्टर प्लान में शहर को आठ हिस्सों में बांटा गया है। पुराना शहर, भेल नगरीय क्षेत्र, राजधानी परियोजना, बैरागढ़, नवीन क्षेत्र (नया भोपाल), कोलार, नेवरी और मिसरोद।

इन सुविधाओं पर रहेगा स्पेशल फोकस

भोपाल विकास योजना प्रारूप 2031 में सबसे ज्यादा फोकस परिवहन और सेवा सुविधाएं विकसित करने पर होगा। खास तौर पर बड़े तालाब के कैचमेंट एरिया में प्राकृतिक सुविधाएं, जल निकायों का संरक्षण, नगरीय विरासत एवं सुनियोजित परिवहन सबसे अहम विषय हैं। इसके साथ ही मास्टर प्लान में इंटर-सिटी और इंट्रा-सिटी ट्रांसपोर्ट सिस्टम को विकसित करने पर जोर रहेगा। इसके साथ ही भोपाल शहर का प्राकृतिक पर्यावरण बचाते हुए यहां ऐतिहासिक विरासतों का संरक्षण एवं संर्वधन किया जाना भी मास्टर प्लान में शामिल है। भोपाल शहर के कोने-कोने में एकीकृत वाटर सप्लाई और सीवरेज सिस्टम निर्माण के बिंदु भी मास्टर प्लान में शामिल किए गए हैं। इसके साथ ही प्रस्तावित लॉजिस्टिक हब, मेट्रो नेटवर्क, शहर विकास से जुड़ी अन्य योजनाओं के साथ ही बाघ भ्रमण के क्षेत्रों और आस-पास सटे जंगलों को लेकर भी मास्टर प्लान में कार्ययोजना तैयार की गई है। इसके अलावा ग्रामीण आबादी और खेती की जमीन को लेकर भी मास्टर प्लान में प्रावधान हैं।

भोपाल विकास योजना-2031 का मकसद

भोपाल को सबसे अच्छा निवास योग्य शहर बनाने के उद्देश्य के साथ मास्टर प्लान को बनाया गया है। शहर में पर्यावरण के प्रति संवेदनशील क्षेत्र, धरोहर और ऐतिहासिक स्मारकों को संरक्षण, सर्वधन और सुरक्षा प्रदान करना, झीलों और नदियों के लिए पर्यटन संवर्धन योजना और अलग विकास विनियमन के साथ पर्यावरण संरक्षण तैयार करना, शहर के विकास में संतुलन बनाकर भूमि का अनुकूल उपयोग, मेट्रो और बस रपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम (बीआरटीएस) कॉरिडोर, ट्रांस-नेटवर्क और ट्रांजिट ओरिएंटेड डेवलपमेंट (टीओडी) के साथ उप नगरों और स्मार्ट सिटी में एरिया बेस्ड डेवलपमेंट (एबीडी) क्षेत्र का एकीकरण और विकास योजना के माध्यम से आर्थिक विकास मॉडल बनाना है।

मास्टर प्लान में ये है शामिल

बड़ी झील के संरक्षण और संवर्धन पर जोर, बाघ भ्रमण क्षेत्र को संरक्षित करने जरूरी संशोधन, केरवा के जल भराव क्षेत्र के निर्धारण पर जोर, हथाईखेड़ा बांध का उत्तर पश्चिम इलाका हरित क्षेत्र, सडक़ों की चौड़ाई 12 मीटर से 18 मीटर तक होगी, अरेरा कॉलोनी, चूना भटृटी, विजयनगर के लिए विशेष मापदंड, मेटो टीओडी व्यावसायिक कॉरिडोर बनाने पर फोकस, अवधपुरी से हथाईखेड़ा प्रस्तावित मार्ग निर्माण में संशोधन, अवधपुरी से हथाईखेड़ा मार्ग अब बनेगा 30 मीटर चौड़ा, ग्रामीण सडक़ें 18 मीटर चौड़ी बनेंगी, कोलार रोड से बिलकिसगंज प्रस्तावित मार्ग में संशोधन, सतगढ़ी गांव की भूमि को सार्वजनिक-अद्र्धसार्वजनिक किया, हजामपुर की सरकारी जमीन औघोगिक क्षेत्र प्रस्तावित और नए मकान निर्माण के मापदंड तय हुए।

आठ हिस्सों में बांटा शहर को

♦  पुराना शहर
♦  भेल नगरीय क्षेत्र
♦  राजधानी परियोजना
♦  बैरागढ़
♦  नवीन क्षेत्र (नया भोपाल)
♦  कोलार
♦  नेवरी
♦  मिसरोद

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