मध्य प्रदेश

हिंदू लड़कियों को ‘हिजाब’ पहनाने वाले दमोह के स्कूल की मान्यता खत्म

सीएम शिवराज सिंह ने ऐसे स्कूल को बंद करने की दी थी चेतावनी

भोपाल। मध्य प्रदेश के दमोह में स्कूल द्वारा हिंदू छात्राओं को हिजाब जैसा स्कार्फ पहनाने के मामले में लोक शिक्षण संचालनालय ने बड़ा एक्शन लेते हुए गंगा जमुना स्कूल की मान्यता निलंबित कर दी है। यह कार्रवाई हिंदू लड़कियों को हिजाब जैसा स्कार्फ पहनाकर टॉपर्स की लिस्ट में दिखाने के मामले में मचे बवाल के बाद की गई। मीडिया और सोशल मीडिया में मामला आने के बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भी इसे लेकर सख्त आपत्ति दर्ज कराई थी। वहीं, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने आरोप लगाया कि स्कूल संचालक हाजी इदरीस ने मीडिया को प्रभावित कर जनभावनाएं भड़काकर सहानुभूति हासिल करने के लिए खेद जताया है। वह स्कार्फ नहीं सिर्फ हिजाब था।

सीएम बोले- ऐसा स्कूल मध्य प्रदेश में चल नहीं पाएगा

दमोह के गंगा जमुना स्कूल में हिजाब के इस मामले को लेकर मीडिया में बवाल मचने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस मामले को लेकर सख्त आपत्ति व्यक्त की थी। उन्होंने चेतावनी देते हुए ट्वीट किया था। उन्होंने लिखा था कि दमोह के स्कूल में जो हुआ, मध्यप्रदेश की धरती पर ऐसा नहीं चलेगा। बेटी को हिजाब पहनने कहेगा, तो ऐसे स्कूल बंद कर दिए जाएंगे। छतरपुर जिले के गौरव दिवस समारोह में एक कार्यक्रम में भी उन्होंने यह बयान दिया था। सीएम ने कहा कि मुझे पता चला, दमोह के एक स्कूल में बेटियों को सिर पर कुछ बांधकर ही आओ, ये नियम बना दिया था। उस व्यक्ति के नाम से जिसने भारत का विभाजन करवाया उसकी कविता पढ़ाई जा रही थी। मैं सावधान करना चाहता हूं, मध्य प्रदेश की धरती पर ऐसी हरकतें नहीं चलेंगी। प्रधानमंत्री द्वारा जो नई शिक्षा नीति लागू की गई है, वहीं शिक्षा नीति लागू होगी। उसके खिलाफ अगर कोई दूसरी चीज स्कूल में पढ़ाएगा या किसी बेटी को सिर पर स्कॉर्फ या कोई दूसरी चीज बांधकर आओ। इसके लिए मजबूर करेगा तो वैसे स्कूल मध्यप्रदेश में चल नहीं पाएगा। यह मध्यप्रदेश में नहीं चलने देंगे। शिक्षा नीति के हिसाब से यहां शिक्षा देने का काम होगा।

स्कूल संचालक ने माफी मांगी, आपत्ति वाले नियम हटाए

शुक्रवार सुबह गंगा जमुना स्कूल के संचालक मोहम्मद इदरीस ने पत्रकारवार्ता आयोजित कर कहा था कि संस्था के बच्चों का हाईस्कूल का परीक्षा परिणाम उत्कृष्ट रहा है। बच्चों को बधाई देने के लिए एक फ्लेक्स लगाया गया था। इस पर कुछ संगठनों ने आपत्ति दर्ज की है। स्कूल यूनीफार्म से यदि किसी की भावनाएं आहत हुई हैं तो इसका उन्हें खेद है। संस्था की छात्राओं के लिए स्कूल यूनीफार्म में स्कार्फ स्वैच्छिक रखा गया था। आपत्ति आने पर वह स्कार्फ भी हटाया जाता है। छात्राएं इसके स्थान पर दुपट्टा पहन सकती हैं। हम जांच समिति के साथ पूरा सहयोग करेंगे, जो भी निर्देश देगी, पालन करेंगे। बता दें कि गंगा जमना स्कूल प्रबंधन मोहम्मद इदरीश ने हिजाब मामले में खेद व्यक्त किया है। अब स्कूल में छात्राएं चाहें तो दुपट्टा इस्तेमाल कर सकती हैं। स्कूल प्रबंधन ने ड्रेस से स्कार्फ और हिजाब का बंधन हटा दिया है। स्कूल में ‘लब पे आती है दुआ सरीखे’ गीत भी नहीं गाए जाएंगे। सुबह केवल प्रार्थना में राष्ट्रगान जन गण मन होगा।

राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने यह किया था ट्वीट

इस घटना को लेकर राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने भी ट्वीट किया है, जिसमें लिखा है कि स्कार्फ़ नहीं था हिजाब था। झूठ मत फैलाओ हाजी इदरीस! जांच चल रही है। आज राज्य बाल आयोग की टीम दमोह पहुंचेगी। जो कहना है वहीं कहना। मीडिया को प्रभावित कर जनभावनाएं भड़काकर सहानुभूति हासिल करने का ड्रामा चलने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि चार्ल्स डारविन के मानव विकास क्रम के वैज्ञानिक सिद्धांत के विपरीत इस स्कूल में मानव उत्पत्ति का रूढ़िवादी इस्लामिक सिद्धांत सिखाया जा रहा है। शिक्षा विभाग के जिन अधिकारियों ने इस स्कूल को मान्यता देते समय इन गम्भीर मुद्दों को नज़रंदाज़ किया उन पर कार्यवाही की जाएगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर दमोह कलेक्टर जांच कर रहे हैं। हाजी इदरीस बिल्डिंग की पुताई कर साक्ष्य मिटा रहा है। इस संबंध में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ओर से नोटिस जारी किया जा रहा है।

राज्य बाल आयोग की टीम पहुंची स्कूल

इधर, राज्य बाल आयोग के सदस्य ओंकार सिंह और मेघा पवार शुक्रवार शाम को स्कूल पहुंचे। वे स्कूल सहित छात्राओं से मुलाकात कर रहे हैं। प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बड़ी संख्या में पुलिस टीम भी मौजूद है। आयोग की टीम ने स्कूल संचालक से बच्चों को स्कार्फ पहनाने का कारण पूछा। इस पर स्कूल प्रिंसिपल अफसा शेख ने कहा कि अभी तक किसी ने आपत्ति दर्ज नहीं कराई है। यह सुनते ही आयोग के सदस्य नाराज हो गए। कहा कि किसी ने आपत्ति नहीं दर्ज कराई तो क्या बुर्का पहना देंगे? स्कूल संचालक इदरीस खान ने कहा कि यह स्कूल का ड्रेस कोड है। जब कहा गया कि हिंदू धर्म में बच्चियों का सिर ढंकने की परंपरा नहीं है। इस आयोग के सदस्यों ने अभिभावकों से बात की, जिन्होंने आरोप लगाए थे। टीम के साथ दमोह तहसीलदार मोहित जैन और जिला शिक्षा अधिकारी एसके मिश्रा मोजूद रहे। पूरे मामले की बारीकी से जांच की जा रही है। टीम के सदस्यों ने स्कूल की किताबों की जानकारी भी ली।

क्या है पूरा मामला

गंगा जमना स्कूल ने हाईस्कूल परीक्षा परिणाम को लेकर फ्लेक्स लगाया था। इसमें सफल छात्र-छात्राओं की तस्वीरें थी। छात्राओं ने स्कार्फ लगाया था, लेकिन क्लोजअप में वह हिजाब जैसा लग रहा है। इस पर कुछ परिजनों ने आपत्ति दर्ज कराई थी। हिंदू संगठन भी सक्रिय हुए और आरोप लगाया कि हिंदू छात्राओं को हिजाब पहनाया गया। प्रदर्शन कर कलेक्टर को कार्रवाई के लिए ज्ञापन भी सौंपा था। इससे पहले कलेक्टर ने जांच कराई तो पता चला कि वह स्कार्फ है, जिसे पहनना छात्राओं के लिए स्वैच्छिक है। स्कूल प्रबंधन का भी कहना है कि उसने कभी भी स्कार्फ को अनिवार्य नहीं किया है। यह मामला बढ़ा तो गृहमंत्री और मुख्यमंत्री ने दोबारा जांच कर कार्रवाई करने को कहा है। निकलकर आएगा, उस पर निर्णय लिया जाएगा। यह 2012 से चल रहा है। स्कूल का ड्रेस ही ऐसा है, ये हिजाब नहीं है।

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