मध्य प्रदेश

मध्यप्रदेश के बहुचर्चित 3 हजार करोड़ के ई-टेंडर घोटाले के 6 आरोपी बरी, कोर्ट ने कहा- अभियोजन पक्ष पेश नहीं कर सका सबूत

भोपाल। मध्यप्रदेश के भोपाल की जिला अदालत ने बहुचर्चित ई-टेंडरिंग घोटाले के 6 आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया है। आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने इन सभी पर नामजद केस दर्ज किया था। मामले की सुनवाई स्पेशल जज संदीप कुमार श्रीवास्तव की कोर्ट में हुई। इसमें कोर्ट ने माना कि ई-टेंडर के लिए डेमो टेंडर बनाया गया था, लेकिन इन्हीं लोगों ने बनाया, अभियोजन पक्ष यह सबूत पेश नहीं कर सका। ऐसे में संदेह के आधार पर इन्हें दोषी नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया। ईओडब्ल्यू की ओर से सरकारी वकील आशीष त्यागी ने कोर्ट में पक्ष रखा।

मप्र का बहुचर्चित ई-टेंडरिंग घोटाला अप्रैल 2018 में उस वक्त उजागर हुआ, जब एक कंपनी के कर्ताधर्ता द्वारा जल निगम की तीन निविदाओं को खोलते समय कम्प्यूटर ने मैसेज डिस्प्ले किया। इससे पता चला कि निविदाओं में टेम्परिंग की जा रही है। प्रारंभिक जांच में पाया गया था कि जीवीपीआर इंजीनियर्स और अन्य कंपनियों ने जल निगम के तीन टेंडरों में बोली की कीमत में 1,769 करोड़ का बदलाव कर दिया था। ई-टेंडरिंग को लेकर ईओडब्ल्यू ने कई कंपनियों के खिलाफ केस दर्ज किया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आदेश पर तीन हजार रुपए के इस घोटाले की जांच ईओडब्ल्यू को सौंपी गई थी। इस बीच 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सरकार बन गई। कांग्रेस सरकार में ई-टेंडर घोटाले की जांच में तेजी आई और 10 अप्रैल 2019 को 7 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी।

जिन्होंने शिकायत की, उन्हें ही आरोपी बना दिया

ज्ञात हो, घोटाले की शिकायत नंद किशोर ब्रह्मे ने की थी। वह व्हिसिल ब्लोअर की भूमिका में रहे। 10 अप्रैल 2019 को हुई FIR में उनका नाम नहीं था। लेकिन, 13 अप्रैल को ब्रम्हो को जांच एजेंसी ने आरोपी बनाकर गिरफ्तार कर लिया और जेल भेज दिया। जबकि वह घोटाले के स्टार विटनेस थे। उन्होंने कोर्ट में खुद के बेगुनाह होने की याचिका लगाई। बुधवार को फैसला आया, जिसमें 6 आरोपियों को बरी कर दिया गया।

कोर्ट ने इन आरोपियों को किया दोषमुक्त

कोर्ट ने जिन आरोपियों को बरी किया, उनमें मध्यप्रदेश इलेक्ट्रॉनिक विकास निगम के तत्कालीन ओएसडी नंद किशोर ब्रह्मे, ओस्मो आईटी सॉल्यूशन के डायरेक्टर वरुण चतुर्वेदी, विनय चौधरी, सुमित गोवलकर, एंटारेस कंपनी के डायरेक्टर मनोहर एमएन और भोपाल के व्यवसायी मनीष खरे शामिल हैं। इन सभी के खिलाफ ईओडब्ल्यू ने ई-टेंडर घोटाले में चालान पेश किया था। ये सब बुधवार को जिला कोर्ट में पेश हुए थे। मामले में 33 गवाहों की सुनवाई के बाद कोर्ट ने इन सभी को बरी कर दिया।

मामले का एक आरोपी हरेश सोरठिया अभी भी है फरार

ई-टेंडर घोटाले में आरोपी बनाए गए गुजरात की वेल्जी रत्न एंड कंपनी के मालिक हरेश सोरठिया को कोर्ट ने फरार घोषित कर रखा है। वह बुधवार को भी कोर्ट में पेश नहीं हुआ। सोरठिया लंबे समय से गिरफ्तारी से बच रहा है। आरोप है कि सोरठिया की कंपनी ने जल संसाधन विभाग में 330 करोड़ के ठेके हासिल करने के लिए दस्तावेजों में टेम्परिंग के लिए बिचौलिए मनीष खरे के खातों में कमीशन के 3 करोड़ 33 लाख रुपए ट्रांसफर किए थे। सुप्रीम कोर्ट ने भी हरेश की याचिका खारिज करते हुए उसे ट्रायल कोर्ट में सरेंडर करने के आदेश दिए थे। बावजूद वह कोर्ट में पेश नहीं हुआ।

साफ्टवेयर में 9 टेंडरों के साथ छेड़छाड़ का किया था दावा

ईओडब्ल्यू ने एफआईआर के समय दावा किया था कि करीब 3 हजार करोड़ के ई-टेंडरिंग घोटाले में साक्ष्यों व तकनीकी जांच में पाया गया कि ई प्रोक्योरमेंट पोर्टल में छेड़छाड़ कर मप्र जल निगम मर्यादित के 3 टेंडर, लोक निर्माण विभाग के 2, जल संसाधन विभाग के 2, मप्र सड़क विकास निगम का एक, लोक निर्माण विभाग की पीआईयू का एक, इस तरह कुल 9 निविदाओं के साफ्टवेयर में छेड़छाड़ की गई थी।

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