नई दिल्ली

राम नाम पर देशभर में करोड़ों का चंदा, अभियान से परेशान हो गए देश के लोग- अनिल मीणा

नई दिल्ली (पंकज यादव) । कोरोना वायरस नाम पर हुई लूट का कोई हिसाब सरकार के पास नहीं है। अब राम के नाम पर देश में हो रही लूट में कोई पारदर्शिता नहीं। वहां के लोगों द्वारा बताया गया कि अयोध्या में जमीन के दाम आसमान पर है, होटलों में कमरे के दाम भी दोगुने तिगुने। राम के नाम पर लूट मची है, चंदे के लिए फर्जी पर्चियां कट रही हैं, पैसा किसी और की जेब में जा रहा है। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने कहा है कि राम मंदिर के नाम पर जमा होने वाले चंदे की राशि का दुरुपयोग किया जा रहा है।

दिल्ली प्रदेश युवा कांग्रेस रिसर्च विभाग के प्रभारी डॉक्टर अनिल कुमार मीणा ने बताया कि भारतीय जनता पार्टी ने लोगों के राम के नाम पर चंदा लेने के लिए एक मापदंड निर्धारित कर रखा है जिन लोगों को पंचायत समिति जिला पार्षद विधायक एवं सांसद का चुनाव लड़ना है जितना अधिक मात्रा में राम के नाम पर धन इकट्ठा करेंगे उसी हिसाब से आगे टिकट का बंटवारा करेंगे। जिन लोगों को भारतीय जनता पार्टी के दरवाजे से चुनाव लड़ना है उन सबके लिए राम के नाम पर देश के लोगों से धन लूटने का अभियान चला रखा है।

विश्व हिंदू परिषद और मंदिर ट्रस्ट के पदाधिकारी राम मंदिर निर्माण के लिए एक सूत्रीय धन संग्रह अभियान में जुटे हैं। इस अभियान को दो भागों में बांटा गया है। एक जनवरी से सिर्फ उन दानदाताओं से संपर्क किया जा रहा है जो लाख या करोड़ में दान देने में सक्षम हैं। इसके बाद 15 जनवरी से 27 फरवरी तक निधि समर्पण का अभियान व्यापक तौर पर चलेगा। जिसमें गरीब से अमीर सभी से संपर्क साध कर लोगों को राम मंदिर निर्माण कार्यक्रम से जोड़ा जाएगा। जिसमें 4 लाख गांवों तक पहुंचने का लक्ष्य है। अनुमान है कि करीब 700 करोड़ की धनराशि इस अभियान में जमा हो जाएगी।

‘राम नाम की लूट है लूट सके तो लूट अंतकाल पछताएगा प्राण जाएंगे छूट।’ आज इस दोहे का अर्थ ही बदल दिया है। इस दोहे का जहां मतलब राम के नाम का सिमरन जितना ज्यादा अधिक करना है इस जन्म में कर ले लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने राम के नाम पर धन जितना लूटना है लूट ले भौतिकता की चकाचौंध में अपनी विलासिता को पूरा करने के लिए अतिवादी परंपरा को भी पीछे छोड़ दिया है।

आज यूपी के माध्यमिक, उच्चतर- माध्यमिक और महाविद्यालयों में कमेटियां बन गईं हैं चंदा वसूलने के लिए। लोगों को मजबूर किया जा रहा है एक मोटी रकम देने के लिए। मामला श्रद्धा का होने के बजाए कुछ और हो गया है। लोग बच रहें हैं कि कहीं आनाकानी करने पर प्रश्नचिन्ह न लग जाए नास्तिक होने का, जो उनके कार्यों में बाधा भी उत्पन्न हो सकता है और कुछ ज्यादा बढ़ गया तो मामला देश द्रोह तक भी पहुंच सकता है। दूसरी तरफ सम्मान की बात भी हो गई है कि पड़ोसी ने इतना दे दिया चंदे में तो हमारा कम कैसे हो सकता है ? कहीं से भी देंगे, देंगे जरूर।

कबीरा यह जग निर्धना, धनवंता नहीं कोय, धनवंता तेही जानिए के राम नाम धन होए। जिसके पास राम नाम का धन है, विवेक है, धर्म है वहीं धनवान है। कई बार लोग आध्यात्मिक जीवन के लिए घर त्याग कर भी विरक्त नहीं रहता है और कुछ लोग घर में रहकर भी विरक्त रहते हैं। घर छोड़ने से कोई आदमी साधू नहीं बन जाता है। मन कहां जाएगा। मनवा तो वहीं है तुम्हारा जो घर में था। भूमि मत बदलो भूमिका बदलो।

राम की प्रति सभी की आस्था है खुशी की बात है कि राम का मंदिर बन रहा है। राम तो सबके दाता है लेकिन उसके नाम पर देश के लोगों को लूटना गलत बात है। देश को पहले कोरोनावायरस के नाम पर लूट आ गया अब राम मंदिर के नाम पर लोग अपने घर की तिजोरी या भरने में लगे हुए हैं जो कि बिल्कुल गलत है।

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