जवान के अंतिम संस्कार पर विवाद, परिजन शहीद का दर्जा देने की मांग पर अड़े, पहले अफसरों ने बताया- आतंकियों ने गोली मारी, फिर बोले-सुसाइड किया ….
भोपाल। मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के सीआरपीएफ जवान जलसिंह सखवार की पार्थिव देह उनके गृह गांव पहुंचने के बाद अंतिम संस्कार के दौरान विवाद के हालात उत्पन्न हो गए। जवान के परिजनों का कहना था कि जब तक उन्हें सरकारी जमीन और शहीद का दर्जा नहीं मिल जाएगा, अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा। वहीं, सेना के अफसरों और प्रशासन ने जवान की खुदकुशी की बात कहकर परिजनों की मांग ठुकरा दी। इससे जवान के अंतिम संस्कार में देरी हुई।
जलसिंह सखवार (52) मुरैना जिले के अंबाह विकासखंड के ग्राम नगरा सिलावली के मूल निवासी थे। वर्तमान में परिवार अंबाह कस्बे में रह रहा है। जलसिंह सखवार की शुक्रवार को सिर में गोली लगने से मौत हो गई थी। जलसिंह सखवार बीते शुक्रवार को पाकिस्तान व्दारा फायरिंग में शहीद हो गए थे। वे जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग क्षेत्र स्थित जामिया मस्जिद के पास बने टोल पर ड्यूटी में तैनात थे। दो जवान मौके पर शहीद हुए थे। परिजनों का आरोप है कि पहले उनसे कहा गया कि जलसिंह आतंकवादी हमले में शहीद हुए हैं। बाद में हमें बताया कि उन्होंने सुसाइड किया है। जवान की पार्थिव देह रविवार सुबह अंबाह लाई गई। इधर, प्रशासन ने जवान की खुदकुशी की बात कहकर परिजनों की अंतिम संस्कार के लिए सरकारी जमीन और उसे शहीद का दर्जा देने की मांग ठुकरा दी।
जवान जलसिंह के घर के सामने हजारों की संख्या में लोग इकट्ठे हो गए। घर के सामने ही पार्थिव देह रखा हुआ था। दिल्ली से आये सीआरपीएफ के अधिकारी का कहना था कि जलसिंह द्वारा सुसाइड किया गया है। सुसाइड और शहीद मामले ने तूल पकड़ लिया। मामले को लेकर सखवार समाज के साथ ही क्षेत्र में आक्रोश है। बताया जा रहा है कि, 10 दिन पहले ही छुट्टी मनाकर जलसिंह ड्यूटी पर गए थे। उनके परिवार में दो बेटी और एक बेटा है।
इसी विवाद के बीच गमगीन परिवार की मदद के लिए समाज का एक व्यक्ति सामने आया। उसने एक बिस्वा जमीन दे दी। इसके बाद परिवार ने दोपहर करीब दो बजे जवान का अंतिम संस्कार किया। परिजनों ने बताया कि सीआरपीएफ अफसरों ने उन्हें फोन पर बताया था कि जलसिंह नाके पर ड्यूटी कर रहे थे। इस दौरान सुरक्षाबलों पर आतंकियों ने अचानक हमला कर दिया। इसमें वे शहीद हो गए। अब कह रहे है कि उन्होंने खुद ही गोली मारकर खुदकुशी की है।
जवान के परिजन बोले- वे खुद को दो गोली कैसे मार सकते है?
इस मामले में जवान की पत्नी माया देवी एवं परिजनों ने कहा कि हमें कंट्रोल रूम से उनके गोली लगने की सूचना मिली। उसके कुछ देर बाद ही शहीद होने की खबर आ गई। अब कह रहे हैं कि उन्होंने सुसाइड किया। वे आत्महत्या करते तो खुद को दो गोली कैसे मार सकते हैं। उनके सिर में दो गोलियां लगी थीं। उन्होंने सुसाइड किया तो हमें वहां क्यों नहीं बुलाया गया।
12 वर्षीय बेटे आयुष ने दी पिता को मुखाग्नि
सीआरपीएफ जवान जलसिंह के अंतिम संस्कार के लिए परिवारजनों ने प्रशासन से शहीद पार्क बनाने के लिए जगह की मांग की। इस पर प्रशासन ने उनके सुसाइड की बात कहकर उनकी मांग ठुकरा दी। समाज के वीरेंद्र सखवार ने अंतिम संस्कार करवाने और एक बिस्वा जमीन देने की सहमति दी। इसके बाद दोपहर में दो बजे परिवार के लोगों ने अंतिम संस्कार किया। जलसिंह की दो बेटी और एक बेटा है। बेटे आयुष (12) ने पिता को मुखाग्नि दी।
22 वर्ष पूर्व सेना में एएसआई के पद पर हुए थे भर्ती
शहीद जवान जलसिंह वर्ष 1991 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे। उनकी नौकरी को करीब 22 वर्ष हो चुके हैं। जलसिंह के घर में पत्नी माया देवी, 12 साल का बेटा आयुष और 6 वर्षीय बेटी प्रियल है। बच्चों की पढ़ाई की वजह से सभी ग्वालियर में किराये के मकान में रहते हैं। जलसिंह की बड़ी बेटी करिश्मा की शादी 2018 में पोरसा के भजपुरा गांव में हुई थी, वह अपने ससुराल में रह रही है। सीआरपीएफ जवान जलसिंह 1991 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे। उनकी नौकरी को करीब 22 वर्ष हो चुके हैं। उनके घर में पत्नी माया देवी, 12 साल का बेटा आयुष और 6 वर्षीय बेटी प्रियल है। बच्चों की पढ़ाई की वजह से तीनों ग्वालियर में किराए के मकान में रहते हैं।
दो दिन पहले हुई थी फोन पर बात
शहीद जलसिंह के साले धर्मेंद्र ने बताया कि दो दिन पहले ही जीजा की दीदी से मोबाइल पर बात हुई थी। बातचीत में उन्होंने बच्चों का हाल जाना और उनके भविष्य को लेकर बात की थी। जीजाजी दीपावली से लगभग 10 दिन पहले ही छुट्टी मनाकर कश्मीर गए थे। वे एक महीने से घर अपने परिवार के साथ थे। उनकी मौत ने पूरे परिवार को स्तब्ध कर दिया है।