बिलासपुर

चरखा स्वावलम्बन का प्रतीक है: डॉ. मुरली मनोहर

महात्मा गांधी की 150वीं वर्षगाँठ पर प्रलेस का आयोजन

बिलासपुर । पर पीड़ा को महसूस करना और उसके लिए संघर्ष का रास्ता अपनाना भी गांधी हो जाना है। दरअसल पीर पराई जानना ही गांधी के रास्ते पर चलना है। गांधी अपने सत्याग्रह के माध्यम से ऐसी प्रतिरोधी शक्ति प्रदान करते हैं कि निर्बल से निर्बल व्यक्ति भी अपना विरोध दर्ज करा सकता है। गांधी के सामने सबकुछ उपलब्ध था लेकिन उन्हें अपने लिए कुछ नहीं चाहिए था।

 उक्त विचार गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. मुरली मनोहर सिंह ने प्रगतिशील लेखक संघ द्वारा महात्मा गांधी के 150 वीं जयंती वर्ष में आयोजित “हमारा समय और गांधी” विषय पर केंद्रित गोष्ठी में व्यक्त किए। उन्होंने आज के समय मे गांधी की प्रांसगिकता को रेखांकित करते हुए कहा कि गांधी का चरखा केवल कपड़ा बुनने का माध्यम नहीं अपितु स्वावलंबन का प्रतीक है जो हमें निडर बनाता है। स्वावलंबी होकर ही हम अपने प्रतिरोध को व्यक्त कर सकते हैं।

इसके पूर्व कार्यक्रम का आधार व्यक्तव्य देते हुए अधिवक्ता लाखन सिंह ने कहा गांधी के विचार आज भी प्रासंगिक है। उनकी अनदेखी करना संभव नहीं है। वे जिन बातों को  कहते थे उनका पालन भी करते थे। गांधी के विचारों को आगे ले जाने की आवश्यकता है।

प्रगतिशील लेखक संघ के प्रांतीय महासचिव नथमल शर्मा ने गांधी के विचारों की विस्तार से व्याख्या करते हुए आज के संदर्भ में उनकी आवश्यकता पर बल दिया। गांधी से असहमति हो सकती है किंतु महत्वपूर्ण यह है कि उनसे हमने क्या प्राप्त किया। आज उनके साथ चलने की आवश्यकता है। गांधी का क्रियाशील जीवन ही उनका संदेश है। गांधी के मूल्यों को अपनाने की आज अत्यधिक आवश्यकता है। गांधी हमें सत्य कहने का साहस देते हैं और सही रास्ता दिखाते हैं।

अपने अध्यक्षीय उदबोधन में शितेंद्र नाथ चौधुरी ने कहा कि गांधी विश्व में एक अदभुत व्यक्तित्व के रूप में जाने जाते हैं। आज के विश्वव्यापी हिंसा व आतंक के दौर में गांधी का अहिंसा का सिद्धांत प्रासंगिक है। गांधी वस्तुतः जननायक है। सामान्य जनता से उनका सीधा जुड़ाव था।

गोष्ठी में प्रमुख रूप से  कालीचरण यादव, सचिन शर्मा, नरेश अग्रवाल, रफ़ीक़ खान,सत्यभामा अवस्थी, कपूर वासनिक, प्रियंका सिंह, शाकिर अली, सोमनाथ यादव, अंजलि शर्मा, सजल कुमार गुप्ता, युवराज सिंह चंदेल, सुनील शर्मा, सूरज कुमार वस्त्रकार, पवन कुमार, वैभव कुमार सिंघानिया, अखिल शुक्ला, धीरज शर्मा आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।अंत में रंगकर्मी व सुप्रसिद्ध अभिनेत्री शौकत आज़मी का स्मरण करते हुए दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की गई । डाॅ सत्यभामा अवस्थी ने शौकत आज़मी के बारे में संक्षिप्त उद्बोधन दिया । गोष्ठी का संचालन डॉ. अशोक शिरोडे तथा आभार प्रदर्शन नमिता घोष ने किया।

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