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उद्घाटन कार्यक्रम से नदारद रहे भाजपा के बड़े चेहरे, साव की दो टूक, कहा- टिकट तो नहीं बदलेगी…

गरियाबंद. भाजपा के प्रत्याशी एलान के बाद उपजे नारजागी को दूर करने के लिए लगातार किसी न किसी बहाने राजिम में बड़े नेताओं का दौरा हो रहा है. 4 अगस्त को राष्ट्रीय केडर के नेता रायपुर संभाग के चुनाव प्रभारी दिलीप जायसवाल राजिम में बैठक लेने पहुंचे थे. लेकिन बड़े नेताओं ने बायकॉट कर दिया गया. 27 अगस्त को मध्यभारत क्षेत्रीय संगठन मंत्री अजय जामवाल की बैठक से भी दूरी बनाई गई. जो मौजूद रहे उन्होंने ने भी नाराजगी जाहिर की. 30 अगस्त को विधानसभा प्रभारी दीपक महस्के ने बैठक बुलाई.

कोर कमेटी और जिला पदाधिकारी मिलाकर राजिम के 35 चेहरे अपेक्षित थे. लेकिन 10 चेहरे भी बैठक में शामिल नहीं हुए थे. हालांकि पार्टी सूत्रों का दावा है कि समय के साथ-साथ नाराजगी रखने वालो की संख्या भी घट रही है. आज प्रदेश अध्यक्ष की मौजूदगी में भले ही बड़े चेहरे नदारद दिखे, लेकिन जमीनी कार्यकर्ताओं की भीड़ बता रहा है की भाजपा में छाई धुंध धीरे-धीरे छट रही है.

राजिम में भाजपा प्रत्याशी के चयन के बाद नाराज चल रहे ज्यादातर बड़े चेहरे प्रदेश अध्यक्ष द्वारा किए गए केंद्रीय चुनाव कार्यालय के उद्घाटन में भी नजर नहीं आए. साव ने भी साफ कर दिया कि टिकट बदलेगी नहीं. वहीं उन्होंने कहा कि भाजपा एक परिवार है, नाराज सदस्य को मना लिया जाएगा.

राजिम विधानसभा में प्रत्याशी के एलान के बाद भाजपा नेताओं में फैली नाराजगी अब सार्वजनिक हो चुकी है. 6 सितंबर को छुरा रेस्ट हाउस में धरमलाल कौशिक के सामने भड़ास निकालने के समय तो भाजपा के सभी चेहरे नजर आ रहे थे, लेकिन शनिवार को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव के कार्यक्रम में ये चेहरे फिर एक बार नदारद दिखे. नाराजगी के बीच आज एक बार फिर राजिम में बड़े नेताओं की उपस्थिति नजर नहीं दिखी. पूर्व भाजपा जिला अध्यक्ष राम कुमार साहू, पूर्व विधायक संतोष उपाध्याय, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष श्वेता शर्मा, प्रदेश प्रवक्ता संदीप शर्मा जैसे कई दिग्गज कार्यक्रम में नहीं दिखे. प्रत्याशी चयनित हो चुके विधानसभाओं में आज पहले चुनावी केंद्रीय कार्यलय का उद्घाटन कार्यक्रम था. जहां ज्यादा विवाद वहीं पहला कार्यलाय खोला गया है. आलाकमान ने ये संकेत भी दे दिया है कि निर्णय बदलेगा नहीं. मीडिया के सवाल के जवाब में अरुण साव ने भी दो टूक कहा कि प्रत्याशी बदलेगा नहीं. भाजपा एक परिवार है, परिवार के सदस्य नाराज हों तो उन्हें मना लिया जाता है. हम सब मिलकर रोहित साहू को जिताएंगे.

साल 2000 में पहले मुख्यमंत्री बने अजीत जोगी के करीबियों में रोहित साहू की गिनत होती थी. तब रोहित सेमरतरा के सरपंच थे. कहा जाता है किसी न किसी तरीके से जोगी सरकार के कार्यकाल में राजिम के भाजपाई प्रताड़ित थे. रोहित को जोगी कांग्रेस ने 2018 का राजिम प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारा था. रोहित ने 23776 वोट लेकर भाजपा के बाद तीसरे स्थान पर रहे. इस चुनाव में भी रोहित भाजपा के लिए वोट काटू साबित हुए थे. रोहित नवंबर 2021 में भाजपा प्रवेश तो कर लिए, लेकिन आज भी भाजपा के स्थानीय नेता रोहित को भाजपाई नहीं मानते. अब बड़े नेताओं के मान मन्नवल के बाद भाजपाई नेता कैसे और कितना समर्थन रोहित को करते हैं, ये तो चुनाव परिणाम ही बताया.

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