मध्य प्रदेश

ग्‍वालियर में चौथी मंजिल पर बेडरूम में खेल रहा था 4 वर्ष का बच्‍चा… खिड़की से झांकते ही नीचे गिरा, मौके पर दर्दनाक मौत

 ग्वालियर
 बहोड़ापुर के सागरताल रोड स्थित प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनी मल्टी में शनिवार शाम पांच बजे चौथी मंजिल से गिरकर मासूम बच्चे की मौत हो गई। बच्चा अपने फ्लैट में स्थित बेडरूम में खेल रहा था। जिस खिड़की से वह नीचे गिरा, उसकी दीवार से सटकर ही पलंग रखा हुआ है। इस पलंग पर चढ़कर ही बच्चा खेल रहा था। तभी खिड़की से झांका और खेल-खेल में नीचे जा गिरा। मासूम बच्चे की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई।

रहवासियों ने किया हंगामा

इस हादसे के बाद यहां के रहवासियों ने प्रोजेक्ट इंजीनियर अरविंद चतुर्वेदी और ठेकेदार को जिम्मेदार ठहराते हुए हंगामा कर दिया। लोगों ने बताया कि खिड़की में ग्रिल सहित अन्य सुरक्षा के इंतजाम न होने की शिकायत कई बार प्रोजेक्ट इंजीनियर चतुर्वेदी से की, लेकिन उन्होंने गंभीरता से नहीं लिया और यह हादसा हो गया।

    मल्टी के इ-ब्लाक में चौथी मंजिल पर फ्लैट नंबर-50 में अक्षय सिकरवार रहते हैं।

    अक्षय के साथ उनकी पत्नी आशा सिकरवार और चार साल का इकलौता बेटा अनंत रहता था।

    अक्षय और उनकी पत्नी दूसरे कमरे में थे। बेटा अनंत बेडरूम में खेल रहा था।

    बेडरूम की खिड़की बिलकुल पलंग की ऊंचाई में है। अनंत खेलते-खेलते पलंग पर चढ़ गया।

    पलंग पर चढ़कर बच्‍चे ने खिड़की का स्लाइडर खोला और नीचे झांकते ही चौथी मंजिल से नीचे गिरा।

    नीचे गिरते ही उसकी दर्दनाक मौत हो गई। नीचे से गुजर रहे लोग दौड़कर पहुंचे।

    अक्षय और आशा भी नीचे आए। अनंत को लहूलुहान हाल में अस्पताल भी ले गए, लेकिन उसकी सांसें तो पहले ही थम चुकी थीं। रात को ही अंतिम संस्कार भी कर दिया गया।

    पुलिस पहुंची…स्वजन बोले- पोस्टमार्टम नहीं कराना

    हादसे की सूचना मिलते ही फोर्स को भेजा था। बच्चे के स्वजन तब तक अंतिम संस्कार कर चुके थे। जब उनसे बात की गई तो बोले कि वह पोस्टमार्टम कराना नहीं चाहते। इसके बाद फोर्स लौट आई। – जितेंद्र सिंह तोमर, बहोड़ापुर थाना प्रभारी

प्रोजेक्ट इंजीनियर और ठेकेदार ही जिम्मेदार…क्योंकि- लगातार लोग जता रहे थे हादसे की आशंका, सिर्फ एक-दूसरे के पाले में गेंद फेंकते रहे

यहां रहने वाले आनंद मिश्रा और कुलदीप परिहार से नईदुनिया ने बात की तो यह लोग बोले कि यहां दो बीएचके फ्लैट वाले ब्लाक आठ मंजिला हैं, जबकि एक बीएचके फ्लैट वाले ब्लाक छह मंजिला हैं। इतने ऊंचे ब्लाक बने हैं। इसके बाद भी यहां सुरक्षा के कतई इंतजाम नहीं है। खिड़कियों में ग्रिल नहीं लगी है, सिर्फ स्लाइडर लगाकर छोड़ दिए हैं। इन लोगों ने बताया कि प्रोजेक्ट इंजीनियर अरविंद चतुर्वेदी से कई बार शिकायत की। प्रोजेक्ट इंजीनियर ने ठेकेदार और ठेकेदार ने नगर निगम के पाले में गेंद फेंकी। नतीजन यह हादसा हो गया।

ठेकेदार मांगता था अलग से रुपये, जांच होनी चाहिए

लोगों का कहना है कि ठेकेदार से जब ग्रिल लगवाने के लिए कहा गया तो बोला कि उसे इसके रुपये नहीं मिले। अगर ग्रिल लगवानी है तो अलग से रुपये देने होंगे। लोगों ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास के तहत बनाए गए आवासों में जिन्हें निर्माण कार्य का ठेका मिला है, उन्होंने भ्रष्टाचार किया है। ग्रिल लगाने का पैसा भी मिला होगा, लेकिन ग्रिल का पैसा बचाकर भ्रष्टाचार किया गया है। इसकी जांच होनी चाहिए।

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