मध्य प्रदेश

मसीहा बनकर निर्धन बच्चों का भविष्य गढ़ रहे हैं भोपाल के एक पुलिस अफसर …

भोपाल. हमारी आंखों के सामने वंचित वर्ग के बच्चों की कई तस्वीरें हैं. आर्थिक समस्याओं से जूझते ऐसे बच्चे अपनी पारिवारिक स्थिति से जीत नहीं पाते और पढ़ाई छोड़कर काम करने में जुट जाते हैं. वैसे हमारे देश में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है, बस जरूरत है तो एक ऐसे मंच की, जो उनके सपनों को साकार कर सके. ऐसे ही हजारों गरीब बच्चों के सपनों को सच करने में एक मसीहा की तरह जुटे हुए हैं भोपाल में पदस्थ एक पुलिस अफसर. सीआईडी के डीएसपी प्रदीप मिश्रा. उन्होंने एक ऐसा संस्थान शुरू किया है, जहां कोई फीस नहीं लगती. प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी ऐसे कराई जाती है कि यहां कोचिंग लेने वाले सैकड़ों बच्चे अफसर बन चुके हैं.

सीआईडी भोपाल के डीएसपी प्रदीप मिश्रा ने साल 2011 में ‘जय हिंद शिक्षण संस्थान’ की शुरुआत की. संस्थान हर साल जून महीने में एक एंट्रेंस एग्जाम आयोजित करता है. इसके जरिये कुल 80 बच्चों को चुना जाता है. साथ ही 20 बच्चों का चयन विशेष परिस्थितियों में होता है. यह बच्चे ज्यादातर गरीब परिवारों के होते हैं. इन्हें सब इंस्पेक्टर और पब्लिक सर्विस कमीशन की परीक्षाओं की तैयारी कराई जाती है. इस संस्थान से अब तक 300 से अधिक स्टूडेंट्स शासकीय सेवाओं में चुने जा चुके हैं.

जय हिंद शिक्षण संस्थान में हर दिन करीब 10 घंटे कक्षाएं लगती हैं. इसके साथ ही इंटरव्यू, ग्रुप डिस्कशन और फिजिकल परीक्षा की तैयारी भी कराई जाती है. इतनी कड़ी मेहनत करने के लिए बेहतर पोषण का भी ध्यान रखा जाता है. इसके लिए डीएसपी प्रदीप मिश्रा की पत्नी निधि मिश्रा खुद संस्थान के किचन में बच्चों के लिए खाना तैयार करती हैं. भोपाल के भारत माता चौराहे के पास चलाए जाने वाले इस संस्थान में बच्चों के रहने और खाने की भी सुविधा है. पढ़ने वाले सभी लड़के और लड़कियों के लिए अलग-अलग हॉस्टल और मेस हैं.

ज्ञात हो कि पढ़ने और पढ़ाने के तरीके में बीते सालों में तेजी से बदलाव हुआ है. ब्लैक बोर्ड स्मार्ट क्लासेस में तब्दील हो गए हैं. ऐसे में संस्थान द्वारा बच्चों को भी आधुनिक शिक्षा देने पर ध्यान दिया जाता है. यहां बच्चों की बेहतर तैयारी के लिए लाइब्रेरी, कंप्यूटर लैब भी बनाई गई है. इसके साथ ही क्रिकेट, बॉलीबॉल, बैडमिंटन जैसी खेल गतिविधियों की सुविधा भी है, जिससे कि बच्चे फिजिकल परीक्षाओं की तैयारी भी बेहतर रूप से कर सकें.

10 सालों से चल रहे इस संस्थान से कई बच्चे पढ़कर निकले हैं. उन्हीं में से कुछ पूर्व छात्र अब नए बच्चों को पढ़ाने में समय देते हैं. ताकि भविष्य में बेहतर अफसरों को तैयार किया जा सके. यहां अब तक करीब 2 हजार स्टूडेंट्स एडमिशन ले चुके हैं. जिनमें से करीब 300 से अधिक स्टूडेंट्स अलग-अलग क्षेत्रों में बेहतर नौकरी पाकर अपना और अपने परिवार का भविष्य संवार चुके हैं. यहां पढ़ने वाले अधिकतर स्टूडेंट्स पुलिस सेवा में जाते हैं, वहीं कुछ बच्चे आर्मी के लिए भी चुने गए.

डीएसपी प्रदीप मिश्रा स्टूडेंट्स को न केवल बेहतर शिक्षा दे रहे हैं, बल्कि उन्हें देश के प्रति अपने कर्तव्यों से भी अवगत कराते हैं. स्टूडेंट्स को देशभक्ति का पाठ भी पढ़ाया जाता है. यहां पढ़ने की एक शर्त यह भी है कि आप देश के लिए कुछ भी कर गुजरने को हमेशा तैयार रहेंगे. प्रदीप मिश्रा भविष्य में हर साल 500 बच्चों को प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कराने का विजन लेकर काम कर रहे हैं. उनका कहना है कि समाज के हर वर्ग को शिक्षा पाने का अधिकार है. ऐसे में साधन संपन्न लोगों की ये नैतिक जिम्मेदारी है कि वे यह सुनिश्चित करें कि धन के अभाव में कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे. यह मूलभूत अधिकार हर किसी को मिले. उन्हें उम्मीद है कि समाज के अच्छे लोग उनके साथ खड़े होंगे, ताकि सुपर 80 को सुपर 500 में तब्दील किया जा सके.

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