मध्य प्रदेश

एमपी में बना आतंकी संगठनों का महागठबंधन, देश को दहलाने की थी साजिश…

भोपाल. पीएफआई के ठिकानों पर छापों और गिरफ्तारियों के बाद आतंकी संगठनों के बारे में बड़ा खुलासा हुआ है. मध्य प्रदेश में आतंकी संगठनों का महागठबंधन बन गया है. इन संगठनों के आतंकी एक दूसरे के लिए काम कर रहे है. ये आतंकी प्रदेश में बैठकर देश को दहलाने की साजिश रच रहे हैं. इस खुफिया इनपुट के बाद देश प्रदेश की सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट हो गई हैं. एमपी एटीएस और एनआईए प्रदेश में फैले आतंकी संगठनों के नेटवर्क को खंगालने में जुटी हुई है. 10 अलग-अलग एंगल पर इसकी जांच की जा रही है. पीएफआई के बाद आतंकी संगठनों के आपसी तालमेल का ये अब तक का सबसे बड़ा खुलासा है.

मध्यप्रदेश में पीएफआई मामले में जांच के बाद कई बड़े खुलासे हो रहे हैं. जांच एजेंसियों को पता चला है कि प्रदेश में आतंकी संगठनों का महागठबंधन बन गया है. सिमी आतंकी संगठन पर सालों पहले प्रतिबंध के बाद जेएमबी, सूफा, आईएसआई, तहरीक ए पाकिस्तान, आईएसआईएस, अलकायदा समेत कई कट्टरपंथी विचारधारा वाले आतंकी संगठन सक्रिय हैं. सिमी के सदस्य भी तमाम संगठनों को मजबूत करने में मदद कर रहे थे.

जांच एजेंसियों को जानकारी मिली है कि प्रदेश में जेएमबी के आतंकी अलकायदा के लिए काम कर रहे हैं. भोपाल सेंट्रल जेल में बंद दो जेएमबी के आतंकियों को अलकायदा से कनेक्शन होने की वजह से कोलकाता एसटीएफ अपने साथ प्रोटेक्शन वारंट पर ले गई है. अलकायदा के आतंकी जेएमबी के लिए काम कर रहे हैं. सिमी आतंकी प्रतिबंधित पीएफआई के लिए काम कर रहे हैं. सूफा़ आतंकी संगठन के तार भी आईएसआईएस से जुड़े होने की लिंक मिली है. आतंकियों के आपसी गठबंधन और तालमेल ने जांच एजेंसियों की नींद उड़ाकर रख दी है. पीएफआई मामले की एटीएस और जेएमबी मामले की जांच एनआईए कर रही है. इसमें खुलासा हुआ है कि सिमी के बाद एकजुट होकर मध्यप्रदेश में नेटवर्क को आतंकी संगठन मजबूत कर रहे हैं.

–  आरोपियों से पूछताछ में एमपी में पीएफआई के नेटवर्क के मास्टर प्लान का खुलासा हुआ है. बताया जाता है कि पीएफआई सहित दूसरे आतंकी संगठन कोर मेंबर बनाने के बाद ही मिशन का खुलासा करते थे. तीन चरण में कोर मेंबर बनाया जाता था. सोशल मीडिया प्लेटफार्म से शुरू होकर फिजिकल यानी मुलाकात तक कि ये पूरी प्रक्रिया होती थी. पीएफआई की सोशल मीडिया टीम सबसे पहले बड़े पैमाने पर लोगों को कट्टरपंथी विचारधारा के मैसेज भेजे जाते थे और लोगों की भावनाओं को भड़काया जाता था.

–  इसके बाद जो भी लोग मैसेज पर प्रतिक्रिया देते, उन्हें सोशल मीडिया पर संपर्क किया जाता और उनसे बातचीत की जाती. यह दूसरा चरण होता था. इससे संपर्क में आए लोगों को धर्म या जिहाद से संबंधित बातें पोस्ट की जातीं. जो युवा इस कंटेंट से जुड़ जाते, उन्हें तीसरे चरण में फिजिकल रूप से मुलाकात करके कोर मेंबर बनाया जाता. मेंबर बनाने के बाद पीएफआई अपने मिशन के बारे में जानकारी और जिम्मेदारी सौंपती थी.

मामले में जांच का दायरा बढ़ा दिया गया है. एटीएस ने पीएफआई के आरोपी सदस्यों के परिवार, रिश्तेदार की कुंडली तैयार की है. इनकी पीएफआई से कनेक्शन की जांच हो रही है. एमपी एटीएस की अलग-अलग स्पेशल टीम टेरर फंडिंग, नेटवर्क, बैंक अकाउंट, मोबाइल कॉल डिटेल, स्लीपर सेल, जिहादी गतिविधियां समेत 10 से ज्यादा एंगल पर जांच कर रही हैं. एमपी के इंदौर, उज्जैन, भोपाल सहित 8 जिलों से पीएफआई से जुड़े 25 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई थी. गिरफ्त में आए 25 आरोपियों से संपर्क में आए संदिग्ध लोगों की सूची भी बनाई गई है. इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से एटीएस को कई अहम सबूत हाथ लगे हैं. आने वाले वक्त में कई बड़े और चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं. साथ ही आने वाले समय में और भी गिरफ्तारी संभव हैं. इसमें कुछ बड़े नाम भी सामने आ सकते हैं.

राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के आरोप में पूरे देश में 5 साल के लिए प्रतिबंधित किए गए पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) भी स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) की तरह अपनी जड़ें जमा चुका था। जांच एजेंसियों ने माना है कि पीएफआई का कनेक्शन इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) और जमात ए मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) जैसे अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों से रहा है। पीएफआई के कई नेता सीरिया और अफगानिस्तान में आतंकी गतिविधियों में भी शामिल हैं। इसमें कई मारे गए और कई को गिरफ्तार किया जा चुका है।

मध्यप्रदेश में पीएफआई के गिरफ्तार किए गए सदस्यों से उनकी ट्रेनिंग मॉड्यूल के 9 वीडियो मिले हैं। ट्रेनिंग ज्यादातर फिजिकल थी। इसमें उन्हें लाठी और तलवार चलाने की भी ट्रेनिंग दी जा रही थी। वीडियो देखने पर पता चलता है कि पीएफआई कैसे अपना कैडर तैयार कर रहा था? वे अपने कैडर को न सिर्फ राजनीतिक तौर पर मजबूत करना चाहते थे, बल्कि अपने लोगों को फिजिकल ट्रेनिंग देकर दहशतगर्द भी बनाना चाह रहे थे। इनके पास से बरामद दस्तावेजों में इस बात की जानकाहरी मिली है कि वे अगले चरण में हिंसा फैलाकर अपनी ताकत का प्रदर्शन करने वाले थे।

चीतों वाले कूनो नेशनल पार्क के लिए जाना जाने वाला श्योपुर इससे पहले लाइमलाइट से दूर रहा है। पीएफआई ने इसे ही आतंक के ट्रेनिंग सेंटर के तौर पर डेवलप किया था। यहां वे अपनी आइडियोलॉजी की पहली प्रयोगशाला बनाना चाहते थे। इसकी वजह ये भी थी कि राजस्थान के कोटा की दूरी यहां से ज्यादा नहीं है। यहां से 100 किलोमीटर का सफर तय करके राजस्थान पहुंचना भी आसान है। मुस्लिम आबादी कम होने के बावजूद श्योपुर में पीएफआई का जबरदस्त विस्तार सुरक्षा एजेंसियों के लिए अभी भी जांच का विषय है। इसकी एक वजह ये है कि श्योपुर में सहरिया सहित ऐसी आदिवासी आबादी भी बहुतायत में है, जिनका भरोसा पीएफआई जीतना चाहती है। पीएफआई के सीक्रेट डॉक्यूमेंट में भी इस बात का जिक्र है कि वे दलित और आदिवासियों का भरोसा हासिल कर उन्हें भी अपने साथ मिलाना चाहते हैं, ताकि चौथे स्टेज में वे देश में इस्लामिक सत्ता स्थापित कर सकें।

मध्यप्रदेश में कूनो नेशनल पार्क वाले श्योपुर में पीएफआई का टेरर सेंटर बहुत तेजी से बढ़ रहा था। यहां वे अपने सीक्रेट प्लान के मुताबिक सेकेंड और थर्ड स्टेज के काम में जुट गए थे। पीएफआई के सदस्यों ने दलितों और आदिवासियों को अपने जाल में फंसाना शुरू कर दिया था। यही वजह है कि यहां मुस्लिम आबादी कम होने के बावजूद 6 महीने में पीएफआई की एक्टिविटी बहुत तेजी से बढ़ी। पीएफआई लीडर्स से जब्त दस्तावेज में जिक्र है कि ये हिन्दुस्तान में इस्लामिक सत्ता स्थापित करना चाहते थे।

सिमी को सरकार ने 2006 में ही बैन कर दिया, ठीक उसी समय देश में पीएफआई का उदय होने लगा। देखते ही देखते ये संगठन देश के 20 राज्यों तक फैल गया। केरल और कर्नाटक में तो इसका कैडर बहुत पॉवरफुल हो गया था। अब जब पीएफआई पर देश की तमाम सुरक्षा एजेंसियों ने एक साथ कार्रवाई कर इसे 5 साल के लिए बैन कर दिया है, तब भी इसका सिरदर्द खत्म नहीं हुआ है। इसके मेंबर पीएफआई की पॉलिटिकल विंग सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया  (एसडीपीआई) के बैनर तले काम कर रहे हैं।

खुद सुरक्षा एजेंसियां भी एसडीपीआई पर प्रतिबंध न लगाने को लेकर चौंकी हुई हैं। हालांकि, राजनीतिक सूत्रों का कहना है कि एसडीपीआई पर प्रतिबंध नहीं लगाने का फैसला जानबूझकर किया गया है। वजह ये है कि एसडीपीआई आने वाले गुजरात, हिमाचल प्रदेश, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के चुनावों में कांग्रेस के वोट काटने में मददगार साबित होंगे। यही वजह है कि जानबूझकर एसडीपीआई को बैन नहीं किया गया है। वोटों के पोलराइजेशन में ये भाजपा और दक्षिणपंथी पार्टियों के लिए फायदे का सौदा साबित होंगे।

मध्यप्रदेश में पीएफआई का अभी सिर्फ फर्स्ट स्टेज वाला प्लान ही चल रहा था। यहां पकड़े गए सदस्यों से न तो हथियार बरामद हुए, न ही बम बनाने की विधि सिखाने वाले दस्तावेज। इनसे सिर्फ ऐसे दस्तावेज मिले हैं, जो कट्‌टरता को बढ़ाने वाले थे।

जांच अफसरों की मानें तो प्रतिबंध से सिर्फ ये होगा कि संगठन का विस्तार थम जाएगा। ये 10 साल पीछे हो जाएंगे। ये अब नए नाम से सक्रिय होना शुरू होंगे। हालांकि, इस सबमें इन्हें वक्त लगेगा, क्योंकि भूमिगत रहकर काम करना इतना आसान नहीं होता। मध्यप्रदेश में अब तक पीएफआई के मेंबर्स पर 188 के तहत 8 से ज्यादा मामले दर्ज नहीं हैं। न ही किसी बड़ी हिंसा में सीधे तौर पर इनकी भागीदारी सामने आई है। अभी पीएफआई के मध्यप्रदेश में 500 से ज्यादा सदस्य थे। इसमें 25 सदस्यों को सुरक्षा एजेंसियां कोर मेंबर बताकर अरेस्ट कर चुकी हैं। इनसे पूछताछ के कई दौर हो चुके हैं। पूछताछ में यही पता चला है कि ये ट्रेनिंग, फंड रेसिंग और संगठन के विस्तार में लगे थे।

मध्यप्रदेश की सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि पहला एक्शन भले ही एनआईए ने लिया है, लेकिन पकड़े गए ज्यादातर पीएफआई सदस्य एमपी पुलिस के रडार पर थे। वे जो कर रहे थे, हमें उसकी पूरी खबर थी। इसलिए जब इनके सभी सदस्यों को गिरफ्तार करने की बात आई तो हमें ज्यादा वक्त नहीं लगा। केरल में एसडीपीआई ने जबरदस्त प्रदर्शन किया था। केरल की सफलता के बाद उसने अन्य राज्यों में अपना प्रचार बढ़ाया था। यही वजह है कि मध्यप्रदेश में भी उसके 4 पार्षद हैं, लेकिन अभी इस पर बैन नहीं लगाया गया है।  हालांकि, एसडीपीआई अभी एमपी में कोई बड़ी राजनीतिक ताकत नहीं है, लेकिन इस बार नगरीय निकाय चुनाव में इसके 4 पार्षद जीतकर आए हैं। बताया जाता है कि सरकार की नजर में विधानसभा चुनाव में ये वोटों के पोलराइजेशन के लिहाज से फायदे का सौदा साबित हो सकते हैं।

केरल में पीएफआई की वर्किंग तीसरे और चौथे स्टेज पर थी। यहां संगठन का काफी विस्तार हो चुका था और एसडीपीआई एक पॉलिटिकल पार्टी के तौर पर भी मजबूती से पैर जमा चुकी थी। केरल के अलावा कर्नाटक में भी पीएफआई का अच्छा विस्तार हो चुका है। वहां वे अगले चुनाव में अपनी ताकत दिखाने की तैयारी कर रहे थे।

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