लेखक की कलम से

शिक्षक कौन …

शि–शिष्य को तरासता है,

जो अपने गहरे ज्ञान से।

शिष्टाचार सिखाता है,

कला और विज्ञान से।।

जीवन के कंटक पथ पर,

जो चलना सिखाता है,,

वही शिक्षक कहलाता है—–

क्ष-क्षमता ममता दया धर्म का,

भाव जीवन में जगाता है।

क्षमा,धैर्य और प्रेम की मूरत,

जो हम सबको बनाता है।।

शस्त्र और शास्त्र की महत्ता,

जो हमको सिखाता है,,

वही शिक्षक कहलाता है——-

क-कलाकारी उनकी अद्भुत,

जो मिट्टी को मूरत बना दे।

जादूगरी उनकी ऐसी,

जो शून्य को खूबसूरत बना दे।।

रेत से घरौंदे बनाना,

जिसको हँसते-हँसते आता है,,

वही शिक्षक कहलाता है——–

जो अपने सत्कर्मों से,

इस जग को राह दिखाता है।

है वही योगी इस जग में,

जो हर पल पूजा जाता है।।

 

  ©श्रवण कुमार साहू, राजिम, गरियाबंद (छग)    

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