लेखक की कलम से

एक शहीद की मां का इंतजार….

 

स्वतन्त्रता दिवस की 75 वीं वर्षगांठ पर सभी को मंगलमयी शुभेच्छा।

लेकिन क्या आप जानते हैं इस आजादी के लिए कितने लोगों ने बलिदान दिया, कितने लोग शहीद हुए…

उन सभी के बलिदान को मेरा शत-शत नमन ।

एक शहीद की मां की व्यथा  को अपनी कलम से वर्णन करने का प्रयास किया है , कृपया उस मां के दुख को समझें जिसने देश की आज़ादी की खातिर अपने लाल को जंग पर भेज दिया।

एक शहीद की मां का इंतजार….

 

भाग १

हर आहट पर चौखट की वो आंख कान रखती है,

तू आए या ना आए वो तेरी राह तकती है…

आज भी तेरे नाम की रोटी पौ (बना)कर वो चूल्हे के पास  धरती (रखती) है….

वो मां है,वो कहां समझती है।

 

दुनिया हुई थी गुलजार जिसकी, तेरे आने पर,

खुशियों के अनगिनत फूल खिले थे, तेरे मुस्कुराने पर,

जाने पर तेरे ,वो जार जार रोती है…

वो मां है,वो नही समझती है।

 

यदि जाना था यूं ही तो, आया क्यूं था कोख मे,

भरोसे और विश्वास के फूल खिलाए थे क्यूं दिल में,

बस यही सवाल सूनी आंखों से वो बार बार करती है…

वो मां है  बस हर लम्हा तुझे याद करती है।

 

 

देखा था एक सपना कि, तेरी औलाद को गोद खिलायेगी,

मां की पदवी से आगे वो दादी कहलायेगी,

बिखरे हुए मन के मोती को वो ,हर पल पिरोती है,

वो मां है, तेरी याद में तिल तिल कर मरती है।

 

नजर जो उतारती थी तेरी, वो दो छींके भी आने पर,

हाथ मसल रह गई, तेरे यूं जाने पर,

बस तुझसे मिलने को एक बार,वो रोज तरसती है…

वो मां है,आज भी भगवान से तेरे लिए लड़ती है।

 

जाने किसकी लग गई नजर,जो मां का आंचल सूना हो गया,

खुशियों से भरा था घर जो उसका,आज वीराना हो गया,

आज कोई खुशी, उसको ना खुश करती है…

वो मां है तेरी , आज भी तेरा इंतजार करती है।

 

भाग २

 

कर दिया एक मां ने लाल को अपने,

देश के लिए न्यौछावर,

वो जख्मों पर लगाते मरहम,

कुछ मेडल दिला कर,

क्या इस मेडल से या झूठे वादों से उसका लाल वापस आयेगा?

क्या बिखरा परिवार उसका फिर से मुस्कुरा पायेगा?

कब तक शहीदों का बलिदान यूं ही व्यर्थ जायेगा?

कहती है … कहती हैं..

कर दो इस पीड़ा का निदान कुछ ऐसे,

जाये ना किसी भी मां का लाल उसके जैसे,

बस यही गुहार वो सरकार से बार बार करती है…

वो मां है ये दुनियादारी कहां समझती है।

बस तिरंगे में लिपटे बेटे को एकटक टकती हैं…

वो मां है तेरी ,आज भी तेरा इंतजार करती है।

 

©ऋतु गुप्ता, खुर्जा, बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश                                

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