लेखक की कलम से

एक दिन ऐसा आएगा…

 

बहुत देखा है मैंने आज के दौर में भी,

लोगो को समझौता करते हुए।

पर हर दम नाकामियां ही साथ होती है,

अपनो के साथ भी होते हुए।।

 

किस बात का घमंड इंसान करता है,

कुछ समझ में नहीं आता है।

बड़े – बड़े लोगों को भी देखा है मैंने,

अहंकार के साथ मरते हुए।।

 

जिसको भी अपना समझोगे,

उससे ही धोखा खाओगे।

उम्मीद किसी से जो लगा ली,

वही जगह पर पछताओगे।।

 

खुद पर भरोसा रखो बस,

आज के इस युग में।

कोई न तेरा अपना है,

इस भयानक कलयुग में।।

 

खुद को इतना ऊंचा लेे जाओ,

बिना किसी शोर गुल के।

सिर्फ नाम तुम्हारा ही चमके,

दुनिया के हर एक कोने में।।

 

कोई न तेरा अपना है..सब जग से बेगाना है,

टूट जायेगा जग से भी नाता, सब यहीं रह जायेगा।

क्यूंकि एक दिन ऐसा आएगा, जब

धन, दौलत, रिश्ते और नाते सब पल में छुट जायेगा।।….

 

©सुरभि शर्मा, शिवपुरी, मध्य प्रदेश

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