लेखक की कलम से

पति के सात फेरे का बंधन …

 

मैं सात फेरों में उनके साथ बंधी हूँ,

पिया के ही रंग में मैं संग रंगी हूँ।

 

अब ये मेरा श्रृंगार भी उनका है,

मेरा सारा प्यार भी उनका है।

 

ड़ोली में आयी थी, अर्थी में जाऊँगी,

साजन से किये सारे बचन को निभाऊंगी।

सजा रही हूँ अपने घर की बगिया,

सवार रही हूँ प्यार की पोथिया।

 

पलों को मोती की तरह पिरो रही हूँ,

प्रेम बन्धन की माला गूथ रहीं हूँ।

 

अब उनकी हां में हां है मेरी ये,

अब उनकी ना में ना है मेरी ये।

 

उनके साथ में ही बीते पल-पल मेरा,

उनकी चाहत में ही अब जीवन सारा।

 

©झरना माथुर, देहरादून, उत्तराखंड

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