वो एक नारी है …
सुबह सबेरे उठकर वो
जिम्मेदारियां उठती है
चौका बर्तन संभाल के सब
बच्चों को भी पढ़ाती है
गौरवतल बनाती जीवन
हर संघर्ष पर भारी है
हां वो एक नारी है….!
वो किसी मां है तो
किसी की बेटी
किसी के साथ पति
धर्म निभाती है
हर बेटे, हर पिता और
हर पति को प्यारी है
हां वो एक नारी है…!
आये मुसीबत ढाल बन जाए
ईश्वर से भी वो लड़ जाए
कभी क्षत्री,कभी काली बन जाए
हंसकर अपना शीश कटाए
सामने हो लाखों दुश्मन
सब पर ही भारी है
हां वो एक नारी है…!
अवला ना कहना उसे
वो तो क्या-क्या कर जाती हैं
सब दुख दर्द उठती है
पर कभी नहीं घबराती है
जहन्नुम से घर को जन्नत
बनाने में जिसकी हिस्सेदारी है
हां वो एक नारी है….!
पिता का अभिमान है
पति का गुमान है
सच पूंछो तो औरत
हर एक घर की शान है
‘ओजस’ उसको क्या लिखे
मैं खुद उसकी लिखावट हूं
घर एक गुलाब का पौधा
तो औरत उसकी क्यारी है
हां वो भारतीय नारी है….!
©राजेश राजावत, दतिया, मध्यप्रदेश