लेखक की कलम से

दिल चाहता है…….

दिल चाहता है कि
कुछ आज लिखूँ ।

मैं तुम्हें लिखूँ
तुम्हारा साथ लिखूँ या
वो मीठा सा प्यार लिखूँ….
स्मृतियाँ उभर आती है
अनायास ही कहती है
लिखना है लिखो –
लिखो वो ख्वाहिशें ,
वो हसरतें ,
वो बेचैनियाँ ,
वो बेरुखियाँ भी लिख डालो
पल पल के इंतज़ार में
वो टूटते वादे लिख दो
किरची किरची होता
मेरा वजूद लिख दो
लिखो…जो लिखा नही है
पन्नों पर
छपा है जो..
नक्श नक्श
ह्रदय पटल पर….
मर गयीं अचानक
सारी संवेदनाएं
छुपा गयी सारी विडंबनाएं
आसानी से
काग़ज़ और शब्दों की
चादर तले
सो रही है टूटी
थकी मुहब्बत….
प्रतिउत्तर में पलको से
पानी बह निकला
समा गया उस पन्ने में
नम हो गया वो पन्ना
जिस पर कुछ लिखना था
जिस पर कुछ लिखना था..!!!!

©नीलम यादव, शिक्षिका, लखनऊ उत्तर प्रदेश

Back to top button