लेखक की कलम से
शहीद …
तुम्हारी भक्ति की ख़ुशबू
आज भी फ़िज़ाओं में है
तुम्हारे लहू का रंग
आज भी हवाओं में है
तुम्हारी पगड़ी पर नाज़
आज भी युवाओं में है
तुम्हारे बसंती चोले का भाव
आज भी कल्पनाओं में है
तुम्हारी फाँसी का रंज
आज भी भावनाओं में है
धरती माँ पर शहीद होने वाले
आज भी तू हर माँ की दुआओं में है
हे भगत सिंह ,सुखदेव ,राजगुरु
मेरा सजदा तुम्हारी वफ़ाओं को है
………………वफ़ाओं को है ।
©डॉ. दलजीत कौर, चंडीगढ़