लेखक की कलम से

तर्पण …

 

अपने पितरों को याद कर,हृदय से करो नमन।

इनके ही आशीष से , हरा भरा रहे आंगन।।

 

श्राद्ध पक्ष के सोलह दिन, पितरों को होते हैं अर्पण।

प्रेम भाव से तू करो, सब इनका तर्पण।।

 

सर्वप्रथम…

 

कुशा, और गौ ग्रास से, होता है तर्पण।

दान , दक्षिणा, भोज आदि से,श्रद्धा से करो समर्पण।।

 

अपने पितरों ने जीते जी, अपना जीवन(हमपर) किया समर्पण।

अब हमको भी करना है, सब प्रेम भाव से अर्पण।।

 

अपने पितरों का श्राद्ध करना, होती है मान की भक्ति।

गर …

जीते जी सम्मान ना हो तो, फिर वो ढोंग है लगती।।

 

आओ हम सब मिलकर के , श्रद्धा ,सुमन करें अर्पित।

आत्मा इनकी तृप्त रहें, बस यही है भाव समर्पित।।

 

©मानसी मित्तल, बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश    

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