योग और संगीत …
योग और संगीत,
मिल बनते हैं गीत।
जगा कर एक स्वरलहरी,
बना देते सबको मीत।।
योग सोयी शक्ति जगाए,
रोग शोक भी दूर भगाए,
संगीत लाता ली जीवन मे,
प्रेम सुधा रस बस तन में।।
दोनो का ये अद्भुत मेल,
जीवन सुंदरता का खेल,
योग जहाँ शशक्त बनाये,
संगीत मधुरता से सजाएं।।
जीवन के ये अनमोल ख़ज़ाने,
जो न बूझे वो क्या जाने,
चलो हम सब ही बूझे,
संगीत योग से कुछ सीखे।।
संगीत ऐसा जो जगा दे तन मन,
रुनझुन रुनझुन से ये सरगम,
योग जगये हर एक कोना,
जिया इसे न आये फिर रोना।
हर कुछ बस सुंदर लागे,
योग संगीत से जुड़े जो नाते,
कितना सुंदर भी जीवन लगता,
संगीत योग से जो नाता बनता।
भूले जो हम ये अमूल्य धरोहर,
रह गए बस यांत्रिक होकर,
आओ जरा वह संगीत जगाये,
दीप राग से दीप जलाए।
मेघ मल्हार जहाँ वर्षा करता,
योग हमे जाग्रत करता,
असीमताओ का है ये शरीर,
सीखो योग बन जाओ वीर।।
©अरुणिमा बहादुर खरे, प्रयागराज, यूपी