लेखक की कलम से

परमात्म प्रेम……

कौन जाने किस घड़ी
चमके सुहानी सी किरण,
स्वयं के अंदर उतरने का
करो कोई जतन।

नींद से जब भी उठे
समझो सुहानी भोर है,
आत्मा तक तृप्त करती
प्रेम की हर इक छुवन

©दिलबाग राज, बिल्हा, छत्तीसगढ़

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