लेखक की कलम से

75 वीं स्वाधीनता दिवस के अवसर पर पथगामिनी समूह की संचालिका द्वारा “वर्तमान संदर्भ में स्वतंत्रता के मायने” पर ऑनलाइन परिचर्चा ….

  मुख्य वक्ता डॉ मुक्ता (अध्यक्ष, आचार्य रामचंद्र शुक्ल साहित्य एवं शोध संस्थान वराणसी से)’ अपने वक्तव्य में गरीबी, बेरोजगारी जैसे विभिन्न बिंदुओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज स्त्रियाँ आर्थिक आधार पर आज़ाद तो हुई हैं लेकिन फ़िर भी अभी बहुत से क्षेत्रों में वो बंधन में हैं उन्हें डर से मुक्ति की बहुत आवश्यकता है अभी। डॉ कलाधर् सिंह (प्रधानाचार्य, SOS हरमन गमाइनर स्कूल भीमताल उत्तराखंड) ने आज़ादी हमारे चरित्र और आचरण से झलकना चाहिए। स्वतंत्रता का मतलब स्वछंदता नहीं होनी चाहिए।

सचिव,(महापंडित राहुल सांकृत्यायन शोध एवं अध्ययन केंद्र संस्था वराणसी से)  संगीता श्रीवास्तवा ने कहा कि आज मानसिक गुलामी से आज़ाद होने की आवश्यकता है। ग़ाज़ियाबाद खेतान पब्लिक स्कूल के उपप्रधानाचार्य ने श्री आनंद कुमार ने कहा कि नई पीढ़ी नए तरीके से नया समाज गढ़ता है समाज का समय के साथ परिवर्तन होता ही है। मुख्य अतिथि श्री गोपाल नारसन ने लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत बनाने पर ज़ोर देते हुए कहा कि अपने वोट के अधिकार को सोंच समझ कर इस्तेमाल करते हुए बौद्धिक लोगों का चुनाव करना चाहिए।

दलित साहित्य को दलित साहित्य कहना उचित नहीं है क्योंकि जो बौद्धिक होगा वही साहित्य के क्षेत्र में भी काम करेगा। अंत में एक कविता से अपनी बात को समाप्त किया। संगीता श्रीवास्तवा ने भी स्वाधीनता दिवस पर अपनी रचना से समा बांध कर कार्यक्रम को सुंदर दिशा देने में सफ़ल रहीं। अंत में समूह की संचालिका मंजुला श्रीवास्तवा ने धन्यवाद ज्ञापन देते हुए आभार व्यक्त किया।

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