लेखक की कलम से

दुल्हन …

 

डोली  उठी  मेरी शानों से

बन ठन बैठी बड़ी मानों से,

चारों ओर खुशियाँ छाई हैं,

होठों में  मुस्कान  छाई  है।

 

रिश्तों का नया नाम मिला

सजना का मुझे साथ मिला,

मायके की आँगन छोड़ कर

ससुराल से नाता जोड़ कर।

 

हो रही माँ पापा से पराई

हो रही है मेरी अब बिदाई।

अब नई पहचान बनाना हैं

पिया के घर को अपनाना है।।

 

 

©अर्पणा दुबे, अनूपपुर                   

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