लेखक की कलम से

मेरी आंखों में …

मेरी आंखों में झांक कर देखना कभी

आपको इसमें केवल धान की खुशबू मिलेगी

और मिलेगी गेहूं की हरियाली भी

इसमें नन्हकू नन्हकी का प्यार है पाला

 

मेरी आंखों में झांककर देखना कभी

मिल जायेंगे आपको मटर के दाने सी हरियाली

टमाटर की रसभरी खट्टी मीठी लाली

 

मेरी आंखों में झांककर देखना कभी

आपको बस मिट्टी की सुगंध मिलेगी

नहीं बसता है यहां कोई इत्र

बस मिल जायेंगे मित्र के चित्र

 

मेरी आंखों में झांककर देखना कभी

मां के आंसू छलछला उठेंगे

पिता का एकाकीपन झांकते मिलेंगे

दोस्तों का स्नेह सम्भालकर रखा है मैंने

 

मेरी आंखों में झांककर देखना कभी

मिल जायेंगे ढेर सारी चुलबुलाहटें

और मिलेंगी दादी नानी की चिंताएं भी

प्यारभरे खत का मजमून भी मिल जाय शायद

 

मेरी आंखों में झांककर देखना कभी

आपकी मुस्कुराहटें मिल जायेंगी यहां

आपकी ईर्ष्या भी अटकी मिलेगी

आपकी आवाज़ का जादू खनकता है यहां

 

मेरी आंखों में झांककर देखना कभी…

©लता प्रासर, पटना, बिहार

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