लेखक की कलम से

खुश रहें और रहने दें …

आज के समय में डिप्रेशन ने अधिकतर लोगों के

मन में जगह बना ली है या ये कहो, की कहीं ना

कहीं सबके दिमाग में डिप्रेशन हैं, फर्क सिर्फ इतना

है कि किसी के दिमाग में कम और किसी के दिमाग

में ज्यादा डिप्रेशन हैं, ज्यादा होने पर उसे झेलना

मुश्किल हो जाता है; अब बात करते हैं, क्यों होती

है डिप्रेशन? जवाब है कि कोई भी कारण हो सकता

है जैसे काम का एक्सट्रा तनाव, रिलेशनशिप में

परेशानियां, सपनों का पूरा ना होना, बच्चों के ऊपर

भी पढ़ाई का एक्सट्रा बोझ और आज के जरूरतों के

हिसाब से एक्सट्रा एक्टिविटीज का प्रेशर रहता है,बहुत

बार पैरेंट्स भी उन्हें बहुत प्रेशर देते हैं, जैसे ज्यादा से

ज्यादा मार्क्स लाने का प्रेशर, ऐसी स्टडी कराने का प्रेशर

जिसमें बच्चों का कोई इंट्रेस्ट ना हो, जब इतने प्रेशर होने

लगते हैं तो कुछ बच्चों को डिप्रेशन हो जाता है, बच्चों को

प्रेशर नहीं करना चाहिए, उन्हें जिस कैरियर में जाना हो

उसे सपोर्ट करना चाहिए, पढ़ाई ठीक तरीके से करे ये

समझाना अलग बात है, पर मार्क्स के लिए काफी प्रेशर देना ये गलत है, ज़िन्दगी में पैसा, पढ़ाई ये सब चीजें जरूरी हैं,

पर शांति और सुकून भी जरूरी हैं, अगर हमारे पास सब कुछ

हैं, लेकिन थोड़ी सा सुकून और शांति नहीं है; तो सब बेकार

हैं, अपनों से बातचीत करते रहना चाहिए; आजकल सब

अपनी लाइफ में बिजी रहते हैं, पर थोड़ा समय तो निकाला

ही जा सकता है, कभी आपको लगे; कोई इंसान कुछ बहकी

बहकी या ज्यादा तनाव भरी बातें कर रहा है या उसके चेहरे

रौनक दिख नहीं रही है, कुछ है जो ठीक नहीं लग रहा है,

तो उससे बातें करनी चाहिए, पास नहीं है, तो फोन से

बात करनी चाहिए, क्या पता आपकी कुछ पॉजिटिव बातें उसे

डिप्रेशन से वापस ले आए और कोई गलत कदम उठाने से

बच जाए, कभी किसी को डीमोटिवेट नहीं करना चाहिए, अगर कोई किसी काम में गलती कर रहा है, तो उसे समझाने

का भी एक तरीका होता है, ना कि उसे ताने दिए जाए; कुछ

लोग ऐसे भी होते हैं, जिन्हें दूसरों की बड़ी टेंशन होती हैं, जैसे

किसी पड़ोसी या रिश्तेदार के बेटे या बेटी की अब तक शादी

क्यों नहीं हुई, या उसकी लड़की या लड़के ने लव मैरिज की

हैं, या अब तक किसी के बहू के बच्चे नहीं हुए, जरूर कोई

कमी होगी, कभी आपने सोचा हैं, की क्या कोई इन सब बातों

को लेकर पहले ही कितना दवाब झेल रहा होगा, कितने लोग

इन बातों को लेकर परेशान हो जाते होंगे और डिप्रेशन लेने लगते होंगे, लेकिन किसी को कोई मतलब नहीं हैं किसी की

परेशानी से, बस बोलने से मतलब है, अगर किसी की परेशानी

दूर नहीं कर सकते, तो बढ़ानी भी नहीं चाहिए; खुद भी खुश

रहना चाहिए और दूसरों को भी रहने देना चाहिए।

 

©श्वेता शर्मा, आगरा, उत्तर प्रदेश  

परिचय:- हिन्दी में एमफिल, लेखन, कहानियां, कविताएं, स्टोरी मिरर की ओर से नामिनेट, मोमस्प्रेसो वेबसाइट से हिंदी लेखन सम्मान, विभिन्न समाचार पत्रों व पत्रिकाओं में नियमित प्रकाशन।

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