लेखक की कलम से
नवाचार लाना ही होगा …
किताबों में लिखते लिखते
कलम,
पुरानी हो चली थी
वही बरसों से
लिखे जा रहे थे
परंपराओं के गीत,
कुछ पुराने साज और
वही सुना सुनाया संगीत,
कलम पुरानी साज पुराने
कोई तो करे पहल
रचे नए गीत,
नवाचार लाना ही होगा
कवि तुझे कलम को
नए कलेवर नया स्वरूप
दिखाना ही होगा,
ले आई है क्रांतियाँ
कलम और आवाज
बेशक पीले पड गए पन्ने,
मगर जिंदा है आज भी
विचार, बेशक दबा दिए गए
विद्रोही स्वर बरसों से
बजती सत्ता की तूतियों में
अब मगर अवाम को
कवि!! तुझे जगाना ही होगा,
मत भूल तेरी कलम ही
बनेगी पतवार
इस असमंजस की प्रलय से
तुझे अब सबको
पार लगाना ही होगा।।।
©डा. मेघना शर्मा, बीकानेर, राजस्थान