लेखक की कलम से
जीने की सीख …
अन्न के कण को,
आनंद के क्षण को,
कभी जाने मत देना ||
दूसरों से आशा,
खुद पर निराशा,
कभी आने मत देना ||
जीवन में मुफ्तखोरी,
भूलकर भी चोरी,
कभी मत करना ||
बिना दर्द की दवाई,
आपस की लड़ाई,
कभी मत करना ||
बिन बुलाए जाना,
बिन पूछे खाना,
अच्छी बात नहीं होती ||
गैरों के आगे इतराना,
अपनों से बात छुपाना,
सच्ची बात नहीं होती ||
बिन मांगे भीख,
बिन पूछे सीख,
कभी न देना चाहिए ||
पैसों से सम्मान,
किसी का अहसान,
कभी न लेना चाहिए ||
कुसंग को पालो मत,
सत्संग को टालो मत,
यह बात मान लो ||
बड़ों की उपेक्षा न हो,
छोटों से अपेक्षा न हो,
यह बात जान लो ||
लोगों से लिया कर्ज,
माटी के प्रति फर्ज,
हर हाल में चुकाओ ||
लिखने के लिए कलम,
और चलने के लिए कदम,
सोच समझ कर उठाओ ||
©श्रवण कुमार साहू, राजिम, गरियाबंद (छग)