धर्म

देवी पार्वती और भगवान शिव की भक्ति से प्राप्त होता है अखंड सौभाग्य …

‘भक्तों का कल्याण करने और जगत के दु:ख हरने को प्रत्येक कलियुग में भगवान शिव अपने चार ब्रह्मचारी शिष्यों के साथ अवतरित होते हैं। उन्नीसवें कल्प के सद्योजात नामक श्रेष्ठ अवतार के साथ ही भगवान का यह पावन अवतरण प्रारंभ होता है।’ आज कथा के अंतिम दिन कथावाचक डॉ. दीपिका उपाध्याय ने यह प्रवचन दिए। श्रीगोपालजी धाम, आगरा में चल रही शिवमहापुराण कथा का यह सातवां दिन था। भगवान शिव के विभिन्न अवतारों की कथा सुनाते हुए आज नंदीश्वर के अवतरण की कथा सुनाई गई कि किस प्रकार शिलाद मुनि की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अमर तथा अयोनिज पुत्र प्रदान किया था। यही नहीं बल्कि नंदीश्वर की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्होंने गणाधिपति बनाया तथा नंदी अर्थात आनंद देने वाला नाम दिया। भगवान शिव की पूजा में इसीलिए नंदीश्वर को प्रणाम करना अनिवार्य माना जाता है।

भगवान शिव के अन्य अवतारों में नरसिंह भगवान के क्रोध को शांत करने वाला शरभावतार महत्वपूर्ण माना जाता है। इसी प्रकार भगवान शिव ने सृष्टि के कल्याण के लिए अर्धनारीश्वर रूप ग्रहण किया। जब ब्रह्मा मैथुनी सृष्टि के लिए स्त्री का निर्माण करने में असमर्थ रहे तब भगवान ने अपने अर्धनारीश्वर रूप से देवी पार्वती को अलग कर स्त्रियों की रचना को संभव बनाया। भगवान शिव की तपस्या से ही भगवान कृष्ण ने इतने तेजस्वी पुत्र, अखंड ऐश्वर्य, दानशीलता एवं भक्तजन प्राप्त किए और युद्ध में अजेय रहे।

अपने भक्त उपमन्यु पर कृपा कर भगवान शिव ने अपने भक्तवत्सल रूप का परिचय दिया। भगवान शिव के साथ माता पार्वती भक्तों के कल्याण और विविध रूप लेती हैं। इसी कारण से लोक मान्यता बन गई है कि माता सती के कन्यादान से स्त्रियों को मान, भगवती सीता से यश, देवी रुक्मिणी से धन भोग, माता तुलसी से सुख सौभाग्य, माता पार्वती के कन्यादान से अखंड सौभाग्य एवं समस्त सुखों की प्राप्ति होती है। कथावाचक दीपिका उपाध्याय ने बताया कि कल प्रातः 9 बजे से शिवमहापुराण की पूर्णाहुति तथा प्रसाद वितरण होगा। इस कथा का फेसबुक पर लाइव प्रसारण प्रतिदिन 3 से 6 बजे तक हो रहा है।

 

©डॉ. दीपिका उपाध्याय, आगरा                  

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