लेखक की कलम से

नागफनी …

क्यों लगा मुझे

होगी बारिश

और धुल पुंछ जाएगा

दुख।

आया सावन

बीता जीवन

न रीता दुख

बसा रहा

आंखों के बीच

दूब सा

हरभरा दुख

बहुत मुद्दत बाद

आई तुम्हारी याद

आए तुम प्रिय

और पहलू से

बंधा बंधाया

आया

वह दुख

ढीठ,

नागफनी सा

कचोटता रहा

मेरी आत्मा

क्यों साया बन

आज भी

मेरे संग संग

डोल रहा दुख …

© मीरा हिंगोरानी, नई दिल्ली            

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