मध्य प्रदेश

डिप्टी कलेक्टर बनना था, नहीं हुआ सिलेक्शन तो खोल लिया ‘पीएससी’ समोसा सेंटर

समोसे बेचकर अपनी पढ़ाई का खर्च निकाल रहा युवक, बिजनेस के बावजूद उन्हें अपने जीवन का लक्ष्य याद रहे इसलिए नाम रखा 'पीएससी'

इंदौर। शहर के खंडवा रोड क्षेत्र में समोसे की एक दुकान ऐसी है, जिसके बाहर से ही नजर आने वाले काउंटर पर लिखे दुकान के नाम पर नजर पड़ते ही हर शख्स आकर्षित हो जाता है। पीएससी समोसा वाला के नाम से संचालित इस दुकान पर मिलने वाले समोसे काफी प्रसिद्ध हैं। तीन बार पीएससी की परीक्षा देने के बावजूद चयनित होने पर एक छात्र ने यह दुकान खोली है, ताकि वह अपनी पढ़ाई का खर्च निकाल सके।

इंदौर मध्य प्रदेश का वह शहर है, जहां हर साल देश के कोने-कोने से लाखों विद्यार्थी सरकारी नौकरियों के साथ कॉम्पिटिटिव परीक्षाओं की तैयारी करने आते हैं। इंदौर के भंवरकुआं क्षेत्र में सैकड़ों कोचिंग संस्थान हैं। भवरकुआं, भोलाराम मार्ग और खंडवा नाका की गलियों में आपको ऐसे विद्यार्थी अपने सपने लिये घूमते नज़र आ जाएंगे। पिछले कुछ सालों से एमपीपीएससी के रिज़ल्ट्स न आने से कई विद्यार्थी परेशान हो चुके हैं। गुना के अजीत सिंह की कहानी यह है कि वह घर से 5 साल पहले पीएससी की तैयारी के लिए इंदौर आए थे। कोचिंग में अच्छी खासी फीस खर्च कर चुके अजीत के पास घर से और पैसा मंगाने की स्थिति नहीं रह गई, तो उन्होंने समोसे की एक अस्थायी दुकान खोल ली है।

यह छात्र है अजीत सिंह (27 वर्ष), जो इंदौर से 900 किलोमीटर दूर रीवा जिले के चोखरा गांव से इंदौर आए। वे यहां रहकर पीएससी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। वे डिप्टी कलेक्टर बनना चाहते हैं। तीन बार परीक्षा दी, लेकिन असफल रहे। पढ़ाई खर्च निकालने के लिए उन्होंने समोसे बेचना शुरू किए। इंदौर में किराए का मकान, पढ़ाई और ट्यूशन का खर्च काफी होता है। अजीत सिंह ने बताया मैंने तीन बार पीएससी की परीक्षा दी। एक बार एक नंबर कम आने से उनका चयन नहीं हो पाया। परिवार पर आर्थिक बोझ न पढ़े, इसलिए समोसे बेचने का फैसला लिया। 15 से 25 रुपये तक की रेंज का समोसा दुकान पर रखने वाले अजीत ने बताया कि उन्होंने अपनी दुकान का नाम पब्लिक समोसा सेंटर रखा है। इसका शार्ट फॉर्म पीएससी है, ताकि बिजनेस के बावजूद उन्हें अपने जीवन का लक्ष्य याद रहे। अजीत ने तीन माह पहले दुकान खोली थी। वे चाहते हैं कि पीएससी की तैयारी कर रहे छात्रों को पार्ट टाइम जाॅब भी मिलना चाहिए, ताकि वे अपनी पढ़ाई का खर्च निकाल सकें। मैंने भी काफी खोज की थी। जब जाॅब नहीं मिली तो समोसे बेचने का फैसला लिया था।

पीएससी की पढ़ाई कर रहे छात्रों को ही दिया पार्ट टाइम जॉब

अजीत ने अपनी दुकान पर पार्ट टाइम दो कर्मचारी रखे हैं। ये दोनों कर्मचारी भी पीएससी की तैयारी कर रहे हैं। खाली समय में वे दुकान पर पढ़ाई भी कर लेते हैं। अजीत सिंह के अनुसार दुकान का अच्छा रिस्पांस मिला है। खुद का खर्च, दुकान का किराया और कर्मचारियों की तनख्वाह निकल जाती है। कुछ पैसा बचता है तो घर पर भेज देता हूं। दुकान खोलने के बावजूद परीक्षा की तैयारी के लिए वक्त निकालकर पढ़ाई भी करता हूं। संदीप ने अपनी दुकान पर एक डिस्प्ले बोर्ड भी लगाया है। जिस पर करंट अफेयर से जुड़ी जानकारी वे ग्राहकों के साथ साझा करते हैं, ताकि पीएससी की तैयारी करने वाले ग्राहक उसे पढ़कर अपडेट होते रहें।

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