मध्य प्रदेश

उपलब्धियों और नवाचारों का एक वर्ष : तेजी से बदल रही प्रदेश के गांवों की तस्वीर

स्वच्छता में प्रदेश के गांव अब शहरों को छोड़ रहे पीछे, प्रदेश में गांव बन रहे हैं आत्म-निर्भर और महिलाएं स्वावलंबी

भोपाल। मध्यप्रदेश के गांवों की तस्वीर तेजी से बदल रही है। एक ओर जहाँ गांवों में अच्छी अधो-संरचना विकसित हो रही है, वहीं सबको बुनियादी सुविधाओं युक्त आवास, हर घर नल से जल और हर हाथ को काम मिल रहा है। स्वच्छता में प्रदेश के गांव अब शहरों को पीछे छोड़ रहे हैं। प्रदेश के जनजातीय क्षेत्र जो विकास की तेज रफ्तार में पीछे रह गए थे, को पेसा एक्ट लागू कर मुख्य धारा में लाया गया है। यह सब संभव हो पाया है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजनरी नेतृत्व और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अनवरत प्रयासों से।
प्रदेश की ग्रामीण आत्म-निर्भरता और सर्वांगीण विकास का सबसे सुखद पहलू यह है कि यहाँ राज्य ग्रामीण आजाविका मिशन से महिलाएं पारिवारिक और ग्रामीण स्वावलंबन का जरिया बन रही हैं। ग्रामीण गरीब परिवारों की महिलाओं के सशक्त स्व-सहायता समूह बनाए जाकर उनका संस्थागत विकास तथा आजीविका के संवहनीय अवसर उपलब्ध कराने के लिए 313 विकासखण्डों में सघन रूप से मिशन का क्रियान्वयन किया जा रहा है। अब तक 53 हजार 50 समूहों से 5 लाख 31 हजार परिवारों को जोड़ा जा चुका है। समूहों से जुड़े परिवारों में से इस वर्ष अब तक लगभग 3 लाख 20 हजार परिवारों को कृषि एवं पशुपालन आजीविका गतिविधियों और 22 हजार समूह की महिलाओं को गैर कृषि आजीविका गतिविधियों से जोड़ा गया है। चालू माली साल में स्वर-सहायता समूहों को बैंकों के माध्य म से 94 हजार 795 प्रकरणों में 1 हजार 416 करोड़ रुपए का ऋण दिलाया गया है।
मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना वाटर शेड विकास, श्यामा प्रसाद मुकर्जी रूर्बन मिशन, सबकी योजना-सबका विकास जन अभियान, ग्रामीण पर्यटन योजना आदि से प्रदेश के गांवों में अच्छी अधो-संरचना विकसित हो रही है। इस वित्त वर्ष में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना भाग 1, 2, 3 में वार्षिक भौतिक लक्ष्य 4 हजार किमी के विरूद्ध माह नवम्बयर 2022 तक 1 हजार 190 करोड़ रुपए व्यय करते हुए 2 हजार 19 किमी सड़कों एवं 106 पुलों का निर्माण किया गया।
15 जिलों की 166 पंचायतों के 336 गांवों में मुकर्जी रूर्बन मिशन से चल रहे कार्य
श्यामा प्रसाद मुकर्जी रूर्बन मिशन, प्रदेश के 15 जिलों की 166 ग्राम पंचायतों के 336 ग्रामों में लागू है। मिशन में चिन्हित रुर्बन घटकों जैसे पाइप द्वारा जलापूर्ति, कौशल विकास, कृषि प्र-संस्करण एवं कृषि सेवा और वेयर हाउसिंग, स्वास्थ्य सेवाएं, विद्यालयों की अधो-संरचना एवं शिक्षा सुविधाओं का उन्नयन, स्ट्रीट लाइट, सार्वजनिक परिवहन, एलपीजी गैस कनेक्शन, डिजिटल साक्षरता, इलेक्ट्रॉनिक तरीके से नागरिक सेवाएं उपलब्ध कराना/ई-ग्राम कनेक्टिविटी के लिए सिटीजन सर्विस सेंटर जैसे कार्य प्राथमिकता के आधार पर किए जा रहे हैं। चयनित रुर्बन संकुलों में 199 करोड़ 77 लाख करोड़ रुपए के कार्य स्वीकृत कर संचालित किए जा रहे हैं।
प्रदेश के गांवों में हर हाथ को दिलाया जा रहा काम
प्रदेश के गांवों में हर हाथ को काम दिलाया जा रहा है। वर्तमान में नरेगा में 66 लाख 88 हजार सक्रिय जॉब कार्डधारी परिवार हैं और 1 करोड़ 19 लाख मजदूर हैं। इस वर्ष विगत 9 माह में 40 लाख 74 हजार से अधिक परिवारों को रोजगार उपलब्ध कराया गया। इसमें 62 हजार से अधिक 425 परिवारों ने 100 दिवस का रोजगार प्राप्त किया। इस वर्ष अभी तक करीब साढ़े 18 करोड़ से अधिक मानव दिवस का सृजन हुआ है। अनुसूचित जनजाति के परिवारों को मनरेगा से रोजगार उपलब्ध कराने में मध्यप्रदेश पूरे देश में अग्रणी स्थान पर रहा है। इस वित्तीय वर्ष में 13 लाख 38 हजार अनुसूचित जनजाति के परिवारों को 5 करोड़ 86 लाख मानव दिवस से अधिक का रोजगार उपलब्ध कराया गया, जो कुल मानव दिवस का 32 प्रतिशत है। रोजगार मेलों और रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण से 60 हजार से अधिक युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए गए। मुख्यमंत्री ग्रामीण पथ विक्रेता योजना में 14 हजार 146 ग्रामीण पथ विक्रेताओं को लाभांवित किया जा चुका है।
गरीब आवासहीनों का पक्के आवास का सपना हो रहा साकार
प्रदेश के गांवों में गरीब आवासहीनों का पक्का आवास का सपना पूरा हो रहा है। प्रदेश के 4 लाख 51 हजार ग्रामीण आवासहीनों को इसी वर्ष प्रधानमंत्री की वर्चुअल उपस्थिति में गृह प्रवेश भी कराया जा चुका है। सबको आवास 2024 योजना में वित्ती्य वर्ष 2016-17 से 2021-22 तक प्राप्ति लक्ष्यक 38 लाख 23 हजार के विरूद्ध 31 लाख 02 हजार से अधिक हितग्राहियों के आवास बनाए गए हैं। आवास प्ल स योजना में वित्तीरय वर्ष 2021-22 के 7 लाख 51 हजार के लक्ष्य के विरूद्ध 3 लाख 06 हजार आवास बनाए जा चुके हैं। योजना प्रारंभ से अब तक कुल 42 हजार 723 करोड़ रुपए का व्यसय किया गया है। आवास प्लहस में शामिल सहरिया परिवार के लिए श्योपुर एवं गुना जिले के लिए विशेष परियोजना पी.टी.जी. में 1 हजार 331 आवास बनाए जा चुके हैं।
स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण– 2022 में पश्चिम क्षेत्र के राज्यों में प्रदेश अव्वल
मध्यप्रदेश के गांव भी स्वच्छता में शहरों को पीछे छोड़ रहे हैं। स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण– 2022 में पश्चिम क्षेत्र के राज्यों में प्रदेश को पहला तथा जिला भोपाल एवं इंदौर को क्रमश: पहला एवं तीसरा स्थान प्राप्त हुआ। जिला इंदौर के ग्राम काली-बिल्लोद में देश की पहली ग्रामीण मल-कीचड़ प्रबंधन इकाई इस वर्ष निर्मित हुई। इस वर्ष अब तक ग्रामों में ओडीएफ स्थिति की निरंतरता के लिए करीब 97 हजार व्यक्तिगत शौचालय एवं पौने 3 हजार सामुदायिक स्वतच्छकता परिसरों का निर्माण किया गया है। साथ ही 12 हजार से अधिक ग्रामों को पूर्ण रूप से ठोस अपशिष्ट प्रबंधित, करीब 16 हजार को पूर्ण रूप से तरल अपशिष्ट प्रबंधित एवं करीब 16 हजार ग्रामों को ओडीएफ प्लस घोषित किया जा चुका है। इस वर्ष प्रदेश के 15 हजार 890 ग्रामों को ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन के कार्यों एवं ओडीएफ प्लस बनाए जाने का लक्ष्य है।

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