नई दिल्ली

चीन को जवाब देने के लिए इन इलाकों पर भारतीय सेना का फोकस, करा रही सर्वे …

नई दिल्ली (पंकज यादव) । उत्तरी सीमा वाले इलाके में विस्तारवादी चीन की सलामी-स्लाइसिंग रणनीति का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारतीय सेना ने नई काट ढूंढ ली है। दरअसल, अब भारतीय सेना अपने खाली पड़े इलाकों में चीन की घुसपैठ की कोशिश पर लगाम लगाने के लिए पर्वतारोहण अभियान, स्की अभियान और शोध-अध्ययन शुरू करने पर जोर दे रही है, ताकि दुनिया को यह पता लग सके कि ये इलाके वैध रूप से भारत के हैं।

इसकी शुरुआत भारतीय सेना लद्दाख के संवेदनशील माने जाने वाले काराकोरम पास से उत्तराखंड में लिपुलेख पास तक बड़े स्की अभियान के आयोजन से करेगी। यह स्की अभियान 3 मार्च से शुरू होगा और करीब 1500 किलोमीटर के दायरे में फैला होगा।

एक वरिष्ठ ऑफिसर के मुताबिक, ‘चीन की विस्तारवादी नीति का कड़ा जवाब देना जरूरी है। वैसे तो सेना उत्तरी सीमाओं पर अतिरिक्त बलों की तैनाती कर चुकी है लेकिन यह भी जरूरी है कि हम खाली पड़े इलाकों में पर्वतारोहण या अन्य अभियानों के जरिए अपनी मौजूदगी का प्रमाण दें।’

अधिकारी के मुताबिक, इसके साथ ही लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानी एलएसी और इंटरनेशनल बाउंडरी (आईबी) से सटे इलाकों में भी भारत को अपने क्षेत्र की रक्षा के लिए यहां रिसर्च स्कॉलरों द्वारा अध्ययन पर जोर देना होगा ताकि ये शोध अंतरराष्ट्रीय जर्नलों में छपे। इससे न सिर्फ ये इलाके दस्तावेजों में भी भारत के होंगे बल्कि जियोटैगिंग में भी मदद होगी।

3 मार्च से शुरू होने वाले स्की अभियान का नाम ‘ARMEX-21’ है। यह काराकोरम पास से शुरू होकर 80-90 दिनों में जिन इलाकों से होते हुए लिपुलेख पास पहुंचेगा वह लद्दाख, हिमाचल, गढ़वाल और कुमाऊं सेक्टर में एलएसी से सटे हुए हैं। अभियान के लिए खासतौर पर प्रशिक्षित लोग जवान तैनात रहेंगे।

एक अन्य अधिकारी के मुताबिक जल्द ही इंडियन माउंटेनियरिंग फाउंडेशन और अन्य पर्वतारोही इंस्टिट्यूट के साथ मिलकर भारतीय सेना एलएसी और आईबी पर कई अभियान शुरू करेगी जिससे यहां लोगों की आवाजाही बढ़े। इन दूरगामी इलाकों में आवाजाही बढ़ने से टूरिजम को भी बढ़ावा मिलेगा और साथ ही यहां रहने वाले लोग मुख्यधारा का हिस्सा भी बन सकेंगे।

बता दें कि स्की अभियान ऐसे समय में शुरू हो रहा है जब भारत और चीन के सैनिक लद्दाख में 10 महीने से जारी गतिरोध को खत्म करने के लिए पीछे हटे हैं। चीन लंबे अरसे से सलामी स्लाइसिंग रणनीति को फॉलो कर रहा है। इसके तहत वह पड़ोसी देशों के खिलाफ छोटे, गुप्त सैन्य अभियान का संचालन कर रहा है,  जो लंबे समय तक चलते हैं। दरअसल, ये सैन्य अभियान इतने छोटे होते हैं कि इन्हें युद्ध नहीं कह सकते लेकिन इनके परिणाम किसी युद्ध के परिणाम जैसे ही होते हैं। ये बड़े सैन्य लाभ में भी मददगार होते हैं साथ ही छोटे अभियान होने की वजह से खास सुर्खियों में भी नहीं रहते।

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