एलपीजी गैस की कीमत बढ़ने का इन परिवारों पर नहीं पड़ता कोई असर …
भोपाल। लगातार बढ़ रहे, एलपीजी गैस के दाम से जहां लोग परेशान हैं, वहीं मध्यप्रदेश के सागर जिले का एक गांव ऐसा है, जहां की आधी आबादी के लोग गोबर गैस का उपयोग कर रहे हैं। गांव की अधिकतर महिलाएं गोबर गैस से ही भोजन पकाती है। गांव में अधिकतर लोग खेती-किसानी का काम करते हैं, जिससे सभी के यहां मवेशी हैं। इन्हीं मवेशियों के गोबर से गैस बनाकर गांव के लोग ईंधन के रूप में उपयोग कर रहे हैं।
सागर जिले के रहली ब्लॉक का संजरा गांव ऐसा है, जहां इसका एलपीजी की बढ़ती कीमतों का ज्यादा असर नहीं है। इस गांव की करीब आधी आबादी गोबर गैस से चूल्हा जला रहे हैं और इसी से अपनी रसोई पकाते हैं। सजरा गांव में अधिकतर खेती किसानी का काम करने वाले लोग रहते हैं। इनके यहां मवेशी हैं। इन्हीं मवेशियों के गोबर से गैस बनाकर गांव के लोग ईंधन के रूप में उपयोग करते हैं।
सजरा गांव में करीब डेढ़ सौ परिवार है। उनमें 80 परिवारों में 16 साल पहले गैस संयंत्र लगवाए गए थे। कुछ परिवारों में संयंत्र बंद हो गए, लेकिन करीब 50 से 55 परिवार ऐसे हैं। जहां गोबर गैस का उपयोग ईंधन के रूप में हो रहा है। एलपीजी की बढ़ती महंगाई का असर इन परिवारों पर उन नहीं है। किसान अनिल मिश्रा ने बताया गोबर गैस संयंत्र हमारे यहां 15 साल से लगा हुआ है। मवेशी भी हमारे यहां हैं। उससे जो गोबर निकलता है। इसका उपयोग उसमें करते हैं। बाद जो खाद निकलती है। वह खेत में डालते हैं, जिससे खाना बनाने में सहूलियत होती है। कम लागत में गैस मिल जाती है एलपीजी गैस के दाम बढ़ते हुए इसका उपयोग ज्यादा किया जाता है और हम लोगों को यह संदेश देना चाहते हो गोबर गैस संयंत्र का उपयोग करें, जिससे खेती और रसोई गैस में लाभ होगा।
करीब 15 साल पहले संजरा गांव का गोकुल ग्राम के रूप में चयन हुआ था। तभी इस गांव में बायोगैस संयंत्र बनवाए गए थे। बायोगैस संयंत्र से लोगों के ईंधन के साथ-साथ गोबर की खाद खेतों में उपयोग करते है। सरकार बायोगैस संयंत्र लगाने के लिए अनुदान की देती है पूर्व सरपंच तरबार सिंह ने बताया हमारे गांव संतरा में करीब डेढ़ सौ परिवार हैं। 75 से 80 के करीब संयंत्र बने हुए। कुछ बंद हो गए 50 से 55 संयंत्र अभी चालू है। जो चल रहे हैं। गोबर गैस का लोग खाद और गैस दोनों का उपयोग करते है।