छत्तीसगढ़

गांव से पलायन रोकने युवाओं ने उठाया बीड़ा

कोडोली के युवाओं की नई सोच

नारायणपुरकहते हैं ‘जहां चाह-वहां राह’। मुसीबतें लाखों के ऊपर, समाधान पास ही होता है। इसे सच कर दिखाया है ग्राम कोडोली के जोशीले युवाओं के समूल ने। जिसमें महिलाएं और पुरुष दोनों सम्मिलित हैं। युवाओं के समूह ने रोजगार के लिए या फिर ज्यादा पैसा कमाने के लालच में पड़कर गांव छोड़कर छत्तीसगढ़ से बाहर पलायन करना गरीबी से निजात पाने का समाधान नहीं हो सकता बल्कि गांव में रहकर मिलजुलकर कुछ ऐसा किया जाए जिससे पलायन का मन बना रहे दूसरों को भी भटकने से बचाया जा सके।

इच्छा संकल्प में ही और संकल्प कार्य में तब्दील होता चला गया और बदलती गई गांव की तस्वीर और तकदीर। गांव कोडोली में युवक-युवतियों ने समूह की शक्ति का एकीकरण किया और बना लिया संकल्पवानों का एक समूह। संकल्पों को स्वरूप दिया ईंटा भट्टी में कार्यकर गांव और आसपास के लोगों से चाहे सरकारी हो या गैर सरकारी कार्यों में ईट के लिए उन्होंने ऑर्डर लेना शुरू किया। उनकी यह मेहनत रंग लाई और आज इस समूह को 10 हजार ईंट बनाने का ऑर्डर और एडवांस भी मिल चुका है।

मुरझाए चेहरों को मुस्कान, निराश मन को आशा की फुहार आ गई। इन लोगों से पूछा गया तो हंसते-हंसते जवाब आया इसके पीछे की पूरी दास्तान दर्शन ग्राम शिक्षक देवेंद्र कुमार देवांगन और काजाराम  को जब पता चला कि गांव के युवक-युवतियां तमिलनाडु और कर्नाटक जाने के लिए योजना बना रहे हैं। फिर क्या था इन दोनों में तुरंत इन युवाओं से संपर्क किया और कहा यदि तुमने गांव में ही रोजगार मिल जाए साथ-साथ तुम्हारे खेती-बाड़ी का काम भी चलता रहे तो लोगों की समझ में यह बात नहीं आई।

ग्राम शिक्षक देवेंद्र देवाँगन ने पूरी योजना बताई तो इन युवाओं के चेहरे खिल गए और उनके मार्गदर्शन में एक समूह का गठनकर आर्डर मिलते ही ईंट बनाने का सांचा (फर्मा) आधी 1 सप्ताह के भीतर एक निर्माण का कार्य शुरू कर दिया। आज उनके ग्राम में ही कार्य जो भी मिल जाता है उसे ठेका लेकर पूरा करते हैं। शिक्षक देवेंद्र कुमार देवांगन, काजाराम व समस्त ग्रामवासी अब प्रसन्न हैं क्योंकि उनके बच्चे गांव में ही रहकर कार्य कर रहे हैं।

ग्राम शिक्षक देवेंद्र देवाँगन कहते हैं कि मेरा दायित्व सिर्फ विद्यालय तक सीमित रहने देने का नहीं है बल्कि मेरे लिए पूरा ग्राम ही एक विद्यालय हैं। जहां विद्यार्थियों के पालक लोगों की समस्याओं को भी दूर करना मेरे कार्य सूची में हैं। जिसमें मैं सफल भी हो रहा हूं। बच्चों और ग्रामवासियों का आशा और उत्साह ही मेरी पूंजी है। यह सब करते हुए मुझे आत्मिक सुख मिलता है। ग्राम विकास की अवधारणा साकार रूप लेती हुई मुझे सबसे बड़ा सुकून मिलता है आज गांव का कोई भी व्यक्ति बाहर जाने की बात तो दूर  सोचता तक नहीं।

गांव की युवा शक्ति अपनी जिंदगी गांव में ही रह कर सवार रही है। ईंट के माध्यम से जैसे पक्के इरादों के साथ स्वरोजगार स्वालंबन और समृद्धि कोडोली की युवाओं के दरवाजे पर दस्तक दे रही है। इस ग्राम के युवाओं के समूह कार्य को देखकर आसपास के गांव के युवा भी संगठित होकर समूह में कार्य कर रहे हैं जो ग्राम पंचायत करमरी के लिए बहुत खुशी की बात है।

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