मध्य प्रदेश

मध्यप्रदेश विधानसभा में पीएम सड़क योजना में गड़बड़ी का मुददा गूंजा, बीेजेपी विधायक ने ही सरकार को घेरा

सत्तापक्ष के सिरोंज विधायक उमाकांत शर्मा ने सत्र में अपनी ही सरकार को जबर्दस्त तरीके से एक बार फिर कटघरे में खड़ा किया

भोपाल। राज्य विधानसभा में मंगलवार को प्रधानमंत्री सड़क योजना में गड़बड़ी का मुद्दा गूंजा। विदिशा जिले की सिरोंज विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक उमाकांत शर्मा ने अपनी ही सरकार को जबर्दस्त तरीके से एक बार फिर कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने प्रधानमंत्री सड़क योजना की सड़कों की दो साल की मरम्मत की जांच कराने की मांग की। इसका जवाब देते हुए प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने सदन को 6 महीने में जांच कराने का आश्वासन दिया तो विधायक बोले- कर लीजिए, आगे क्या होगा? अल्लाह जाने। विधायक ने यहां तक कह दिया कि विधानसभा में झूठी जानकारी दी जा रही है। श्री शर्मा ने कहा- मेरे क्षेत्र में सड़कें नहीं बनीं, मंत्री बोले- कार्य प्रगति पर है।

प्रश्नकाल में सिरोंज से बीजेपी विधायक उमाकांत शर्मा ने कहा कि जो सड़कें बहुत पहले बन जानी थी, हमारी विधानसभा में अभी तक नहीं बनी। क्यों नहीं बनी, कौन अधिकारी दोषी हैं? उनके नाम बताएं। पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिसोदिया ने जवाब में कहा कि कार्य प्रगति पर है। इस पर शर्मा बोले- मेरे लोग गड्ढे में चल रहे हैं, उसका कौन उत्तरदायी है? बंशखेड़ी की सड़क क्यों नहीं बनी? बताइए। सिसोदिया ने कहा कि मुझे जांच कराने का मौका दीजिए। उमाशंकर शर्मा बोले कि 5 साल पहले काम होना था, विधानसभा में झूठी जानकारी क्यों दी जा रही है। सिसोदिया ने कहा कि अगर लगता है कि कहीं गड़बड़ हुई है, तो जांच होगी। शर्मा ने कहा कि जांच की समय सीमा दीजिए। कब होगी? मंत्री सिसोदिया ने कहा कि छह महीने का समय कर लें। उमाशंकर ने कहा कि कर लीजिए, आगे क्या होगा? अल्लाह जाने। यह सुनते ही सदन ठहाकों से गूंजने लगा।

कांग्रेस विधायक सुश्री साधौ ने महेश्वर विधानसभा क्षेत्र की सड़कों का मामला उठाया

पंचायत मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया में विधानसभा में सदन को आश्वस्त किया कि महेश्वर विधानसभा के देवगढ में सड़कें बनाने के लिए पुन: प्रयास किए जाएंगे। उन्होंनें बताया कि पहाड़ी एरिया होने के कारण सड़क बनाने में दिक्कत आ रही है, ऐसे में सड़क बनाने के दुबारा प्रयास किए जाएंगे। इससे पहले मूल प्रश्नकर्ता सदस्य डॉ विजयलक्ष्मी साधौ ने यह मुददा उठाते हुए कहा कि क्षेत्र की यह सड़क बनाने का मुददा एक विभाग से दूसरे विभाग में टप्पा खा रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें विज्ञापन पर पैसा बहा रही हैं और सड़क बनाने के लिए पैसे नहीं है। पहाड़ी का बहाना बनाया जा रहा है। क्षेत्र के आदिवासी बहुल होने का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि आदिवासियों को कब तक मतदान से वंचित करेंगे। स्थानीय लोग पहले भी मतदान का बहिष्कार कर चुके हैं। इस पर श्री सिसोदिया ने कहा कि सड़क बनाने के पुन: प्रयास किए जाएंगे।

16 शिक्षकों को दी गई अनिवार्य सेवानिवृत्ति सात को मिल रही पेंशन, नौ को नहीं

प्रदेश के स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री इंदर सिंह परमार ने मंगलवार को विधानसभा में प्रश्नोत्तरकाल के दौरान जानकारी दी कि 16 शिक्षकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई। इनमें से सात शिक्षकों को पेंशन मिल रही है, शेष नौ को पेंशन नहीं मिल रही है। राज्य मंत्री परमार यह जानकारी विधायक श्रीमती कल्पना वर्मा द्वारा पूछे गए प्रश्न के उत्तर में दे रहे थे। इससे पहले श्रीमती वर्मा ने शिक्षकों को मुददा उठाते हुए कहा कि अनिवार्य सेवानिवृत्ति नियमों का पालन नहीं किया गया और शिक्षकों के परिवार के सामने भूखों मरने की नौबत आ गई है। अनिवार्य सेवानिवृत्ति में उन्होंने अंधा बांटे रेवड़ी और चीन्ह-चीन्ह कर देने के आरोप भी लगाए। प्रश्न के उत्तर में श्री परमार ने कहा कि मामले में नियम और प्रक्रिया का पूरा ध्यान रखा गया है। उन्होंने जानकारी दी कि शिक्षकों को ओपन बुक परीक्षा में पास होना था, लेकिन वे 33%अंक भी हासिल नहीं कर सके। परीक्षा का अवसर भी दो बार प्रदान किया गया। इसके बावजूद वे पास नहीं हो सके। उन्होंने कहा कि अनिवार्य सेवानिवृत्ति मामले में नियम कानून का पूरी तरह से पालन किया गया है। ऐसे में यह कहना कि नियमों का पालन नहीं हुआ सही नहीं है।

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