मध्य प्रदेश

हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को फायर एंड इमरजेंसी सर्विस एक्ट लागू करने का दिया आदेश

अब तक केंद्र के निर्देश पर 26 राज्यों में लागू हो चुका है एक्ट

भोपाल/जबलपुर। भारत के 26 राज्यों में फायर एंड इमरजेंसी सर्विस एक्ट लागू हो चुका है लेकिन मप्र में यह लागू नहीं हुआ है, जिसे लेकर जबलपुर के अधिवक्ता मनोज कुमार की जनहित याचिका के बाद अब हाईकोर्ट ने मप्र फायर एंड इमरजेंसी सर्विस एक्ट लागू करने का आदेश सुनाया है।

दरअसल, जबलपुर निवासी रामभजन कुशवाहा उर्फ नीलू के कहने पर एडवोकेट मनोज कुमार ने जनहित याचिका हाईकोर्ट में दायर की थी, जिसमें कुछ समाचारों की कतरनों का हवाला देकर बताया कि भारत के 26 राज्यों में फायर एंड इमरजेंसी सर्विस एक्ट लागू हो चुका है। यहां तक कि मप्र से अलग होकर बने पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ तक में यह एक्ट लागू हो गया है किंतु आश्चर्यजनक रूप से मप्र में यह एक्ट अब तक लागू नहीं हुआ। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली युगलपीठ के समक्ष मामला सुनवाई के लिए लगा। इस दौरान दलील दी कि मप्र में दूसरे राज्यों की अपेक्षा अग्नि-दुर्घटनाएं बहुत अधिक हो रही हैं। इस संबंध में नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के पिछले 10 सालों के रिकार्ड से भी तथ्य पेश किए गए। दलील दी गई कि मप्र में जगह-जगह पंडाल लगाकर आयोजन किए जाते हैं, जिनमें फायर सेफ्टी संबंधी ठोस उपाय नहीं किए जाते। यही नहीं प्रदेश के अस्पतालों, सरकारी व गैर सरकारी कार्यालयों, स्कूल-कालेज इत्यादि जगहों पर भी फायर सेफ्टी के संबंध में उचित उपाय देखने को नहीं मिलते यह स्थिति बेहद चिंताजनक है। केंद्र सरकार द्वारा 16 सितंबर, 2019 को सभी राज्य सरकार के सचिव को फायर व इमरजेंसी सर्विस एक्ट लागू करने के लिए कहा था किंतु मप्र शासन द्वारा इस संबंध में अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई।

हाईकोर्ट ने निर्देश के साथ किया याचिका का पटाक्षेप

याचिका पर बहस सुनने के बाद जनहित याचिका पर राज्य शासन सहित अन्य को नोटिस जारी किए गए। जिसके बाद राज्य शासन की ओर से अपना जवाब पेश किया गया। प्रमुख सचिव की ओर से प्रस्तुत शपथ पत्र में भरोसा दिलाया गया कि मप्र फायर एंड इमरजेंसी सर्विस एक्ट लागू करने की दिशा में शीघ्र ही प्रभावी कदम उठाए जाएंगे। हाईकोर्ट ने राज्य शासन के इस अभिवचन यानि अंडरटेकिंग को रिकार्ड पर लेकर जनहित याचिका का इस निर्देश के साथ पटाक्षेप कर दिया कि सरकार अपना वचन निभाए।

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