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राजिम पुन्नी मेला के वैचारिक संगोष्ठी में शामिल हुए स्वामी उमेशानंद …

राजिम। छत्तीसगढ़ के प्रयागभूमि राजिम में आयोजित पारम्परिक पुन्नी मेला में दसवें दिन लोमस ऋषि आश्रम में प्रतिवर्षानुसार भव्य विचार संगोष्ठी एवम कवि सम्मेलन आयोजित किया गया जिसमें अंचल के प्रतिष्ठित साहित्यकारों ने राजिम महात्म्य का बखूबी बयान किया एवम अनेक समसामयिक विषयों पर शानदार काव्य पाठ किया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महंत उमेशानंद महाराज सिद्दी विनायक आश्रम नवापारा ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ कवि रोहित कुमार माधुर्य के द्वारा सुमधुर वंदना के साथ हुआ, इसके पश्चात मंच संचालन कर रहे श्रवण कुमार साहू,”प्रखर” ने प्रथम कवि के रूप में मकसूदन साहू बरीवाला को आमंत्रित किया। जिसने अपनी रचनाओं के माध्यम से भारतीय संस्कृति को अपनाने का आग्रह किया। इसके बाद भारत साहू,”प्रभु”ने जीवन की क्षणभंगुरता पर उत्कृष्ट रचना पढा, आगे की कड़ी में कवियत्री केंवरा यदु,”मीरा”ने भगवान राजीव लोचन को समर्पित भक्तिमय रचना पढ़कर खूब वाहवाही लूटी।

संत कवि देवेंद्र शर्मा महिला दिवस के अवसर पर माँ पर केंद्रित रचना पढ़कर मंच को ऊंचाई प्रदान किया।फिर मंच के धाकड़ कवि किशोर निर्मलकर ने अपनी क्षणिकाओं एवम गज़ल प्रस्तुत करके संत समाज को भी झूमने पर विवश कर दिया। नवोदित कवियत्री प्रिया देवांगन,” प्रियु”ने आल्हा खंड के माध्यम से राजिम पर जबरदस्त रचना पढ़कर मंच को ऊँचाई प्रदान किया तो,नरेंद्र पार्थ ने संस्कारों की महत्ता पर अपनी उत्कृष्ट रचना प्रस्तुत किया, नवोदित कवि एवम इंजीनियर सुरेश बंजारे ने छत्तीसगढ़ी भाखा बोली पर बेहतरीन रचना पाठ किया।

तत्पश्चात कवि रोहित साहू,” माधुर्य”ने नशाखोरी एवम कुसंस्कारों पर बेबाक प्रस्तुति देकर लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया। भैंसबोड से पधारे कवि बृजलाल दावना ने राधेकृष्ण पर सुमधुर भजनों के द्वारा भक्ति पूर्ण माहौल को और भी गहरा दिया। दर्रा से पहुचे नवोदित युवा कवि हुमन साहू ने अपनी गज़लों के माध्यम से जबरदस्त शमा बाँधा। तो भावुक कवि मोहनलाल माणिकपन ने संस्कारों पर लाजवाब रचना पढ़कर खूब प्रशंशा पाया,कवि श्रवण कुमार साहू,” प्रखर”ने सभी साधु संतों एवम देशवासियों को अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनाने हेतु जबरदस्त आह्वान किया।

साधु संतों, श्रद्धालुओं एवम साहित्यकारों से खचाखच भरी हुई सभा को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि के आसंदी से महंत उमेशानंद महाराज ने कहा कि साहित्य समाज को अपनी लेखनी के माध्यम से जागरण का महान कार्य करते हैं, इतिहास में उनका नाम सदैव अमर रहता है। आभार प्रदर्शन रोहित माधुर्य ने किया। इस अवसर पर विभिन्न आश्रमों से आये हुए संतों, महंतो, साध्वियों, सेवादार और सैकड़ों की संख्या में साहित्यिक श्रोताओं की गरिमामय उपस्थिति रही जिसने इस कार्यक्रम की मुक्तकंठ से प्रशंसा की।

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