मध्य प्रदेश

मप्र पुलिस का दागदार चेहरा उजागर: प्रदेश में 192 बलात्कार के आरोपी पुलिस वाले, सबसे ज्यादा ग्वालियर में

विधानसभा में गृहमंत्री ने 12 साल का दिया लेखा-जोखा, हवालात में आत्महत्या और अन्य कारणों से 54 कैदियों की मौत भी हुई

भोपाल। मप्र विधानसभा में कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी के सवाल के जवाब में गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने जो जानकारी दी है, उससे मप्र पुलिस का दागदार चेहरा उजागर हुआ है। पुलिस में आरक्षक से लेकर अधिकारी तक 192 बलात्कार के आरोपी हैं। इनमें से सबसे ज्यादा 28 बलात्कार के आरोपी ग्वालियर में हैं। जबकि ग्वालियर-चंबल रेंज पुलिस में 44 बलात्कारी हैं। जो प्रदेश में सबसे ज्यादा है। प्रदेश में वर्ष 2010 से 2022 के बीच 45 एनकाउंटर हुए हैं, इनमें से 42 एनकाउंटर सिर्फ ग्वालियर जिले के हैं। जो चौंकाने वाला आंकड़ा है।

जीतू पटवारी के सवाल के जवाब में गृहमंत्री ने बताया कि 12 साल की अवधि में विवेचना के दरमियान हवालात में 13 मौत हुई हैं। जबकि इसी अवधि में 31 लोगों ने हवालात में आत्महत्या की है। वर्ष 2010 से 2022 तक प्रदेश में 45 एनकाउंटर हुए हैं जिनमें आश्चर्यजनक रूप से सिर्फ ग्वालियर जिले में ही 42 एनकाउंटर किए गए जोकि कुल एनकाउंटर की 94 फीसदी है। वहीं इंदौर जैसे सबसे बड़े शहर में पिछले 16 साल से कोई एनकाउंटर ही नहीं हुआ है। अलबत्ता हवालात में आत्महत्या या अन्य कारणों से हुई मौत में इंदौर भी शामिल है, तो प्रदेशभर में इस तरह की हिरासत में 54 मौतें हुई हैं।

ग्वालियर पुलिस में सबसे ज्यादा 28 बलात्कार के आरोपी

गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि ग्वालियर में बलात्कार के आरोपी 28 पुलिसकर्मी हैं। जबकि शिवपुरी में 3, अशोकनगर 4, मुरैना 2, भिंड 5, दतिया में 2 हैं। इसी तरह इंदौर शहर में 17, इंदौर देहात में 14, भोपाल शहर में 16 आरोपी हैं। जबलपुर में 6, खरगोन में 6, खंडवा में 4 बलात्कार के आरोपी हैं। इनमें से कुछ प्रकरणों में बरी हो गए हैं। ज्यादातर मामले कोर्ट में विचाराधीन है।

इंदौर में अपराधा बढ़े, लेकिन 16 साल में कोई एनकाउंटर नहीं

गृह मंत्री ने सदन को बताया कि इंदौर-भोपाल में लगभग डेढ़ साल पहले पुलिस कमीश्नरी सिस्टम भी प्रयोग के रूप में शुरू हुआ। हालांकि अभी भी गंभीर अपराधों के मामलों में इंदौर सहित बड़े शहर आगे हैं। हत्या, बलात्कार से लेकर अन्य प्रकरणों की संख्या में वृद्धि हुई है, जिसके आंकड़े अभी विधानसभा में ही प्रस्तुत किए गए। इंदौर में लसूडिय़ा पुलिस ने 21 जुलाई 2007 को बैतूल निवासी आशीष गोहिल को एनकाउंटर में मार गिराया था, मगर इसकी मजिस्ट्रियल जांच करवाई गई तो यह एनकाउंटर फर्जी पाया गया, जिसके चलते इंदौर पुलिस ने एनकाउंटरों से ही तौबा कर ली। हालांकि बड़े अपराधियों के एनकाउंटर देशभर में पुलिस द्वारा किए जाते रहे हैं। मगर इंदौर में 2007 के बाद यानी पिछले 16 सालों में कोई एनकाउंटर नहीं हुआ और अभी विधानसभा में विधायक जीतू पटवारी के सवाल के जवाब में गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने जो जवाब दिया उसमें 12 सालों में इंदौर में कोई एनकाउंटर होना नहीं बताया। अलबत्ता प्रदेश में 45 एनकाउंटर 2010 से 2022 के बीच बताए गए। इनमें भी 94 फीसदी एनकाउंटर तो ग्वालियर जिले में ही हुए, जो गृहमंत्री का भी क्षेत्र है।

मेडिकल कॉलेजों के 62 डॉक्टर लोकायुक्त-ईओडब्ल्यू में फंसे

विधायक पटवारी के ही सवाल के जवाब में चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने बताया कि लोकायुक्त में डॉक्टरों के विरुद्ध 26 शिकायत आई हैं, वहीं ईओडब्ल्यू में 36 शिकायत डॉक्टरों के विरुद्ध आई हैं। इसमें चौंकाने वाला नाम प्रदेश के सारे मेडिकल कॉलेजों की यूनिवर्सिटी जबलपुर के पूर्व कुलपति आरएस शर्मा का भी है, जिसे नस्तीबद्ध किया जा चुका है। साथ ही उसी विश्वविद्यालय के रजिस्टर आशु पाठक का नाम भी लोकायुक्त में दर्ज है। जिसका प्रकरण अभी जारी है।

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