छत्तीसगढ़रायपुर

राजिम में संपन्न हुए पं.सुंदरलाल शर्मा के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर संगोष्ठी …

राजिम। पं.सुन्दरलाल शर्मा साहित्य उत्सव समिति गरियाबंद के तत्वावधान में पं.सुन्दरलाल शर्मा की जयंती समारोह साहित्य उत्सव के रूप में मनाया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्रीमती रेखा सोनकर अध्यक्ष नगर पंचायत राजिम थे, अध्यक्षता मकसूदन साहू, “बरीवाला”, अध्यक्ष त्रिवेणी संगम साहित्य समिति राजिम नवापारा ने किया।कार्यक्रम के प्रथम चरण में उपस्थित अतिथियों एवम साहित्यकारों ने नगर के हृदय स्थल में स्थापित पं.सुंदर लाल शर्मा के विशाल प्रतिमा पर पूजा अर्चना एवम माल्यार्पण करके, श्रद्धा सुमन समर्पित किया।

इसके पश्चात द्वितीय सत्र में गरियाबंद रोड स्थित राजीव लोचन भवन के सभागार में आयोजित विचार संगोष्ठी कार्यक्रम में प्रबुद्ध वक्ताओं ने उनके व्यक्तित्व एवम कृतित्व पर विचार रखे, इसके पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभपं.सुन्दर लाल शर्मा के तैलचित्र के सामने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ, कवि रोहित साहू माधुर्य ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत किया, तो स्वागत उद्बोधन के माध्यम से वरिष्ठ कवि श्रवण कुमार साहू, “प्रखर”ने समिति के क्रियाकलापों एवम कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला।

साहित्यकारों को सम्बोधित करते हुए रायपुर से पधारे वरिष्ठ साहित्यकार सुकदेव राम साहू, “सरस “ने कहा कि पं.सुंदरलाल शर्मा छत्तीसगढ़ में साहित्यिक, सामाजिक एवम धार्मिक जागरण के अग्रदूत थे, उनके ऋण से हम उऋण नहीं हो सकते। शर्मा के व्यक्तित्व पर चर्चा करते हुए भूषण सिंह ठाकुर उपाध्यक्ष, छत्तीसगढ़ पेंशनर संघ ने कहा कि, पं.ने मंदिर में सभी वर्गों को प्रवेश दिलाकर उस समय की परिस्थितियों में बहुत ही साहस भरा कार्य किया था।

पं.अर्जुन नयन तिवारी भागवताचार्य राजिम ने कहा कि, राजिम को साहित्यिक नगरी बनाने का श्रेय पं.सुंदरलाल शर्मा को जाता है, जिनके परिपाटी को आज भी त्रिवेणी संगम के साहित्यकार आगे बढ़ा रहे हैं।राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक मुन्ना लाल देवदास ने कहा कि, राष्ट्रीय क्रांति में जो योगदान लाल, बाल, पाल की थी, वही योगदान छत्तीसगढ़ में सुंदर लाल की थी।बाबूलाल साहू, ने कहा कि छत्तीसगढ़ के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के इनकी भूमिका अग्रणी रही है।कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे मकसूदन साहू , बरीवाला ने कहा कि, सुंदरलाल शर्मा के विचार हर युग मे प्रासंगिक रहेंगे।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्रीमती रेखा सोनकर ने कहा कि, साहित्य और समाज सदैव एक दूसरे के पूरक के रूप में होते हैं, समाज या राजनीति जब जब लड़खड़ाती है, साहित्य ही उसे सहारा देता है।

इस अवसर पर समिति द्वारा उपस्थित साहित्यकार पुरुषोत्तम चक्रधारी, नरेंद्र साहू, संतोष व्यास , फणीन्द्र साहू का साहित्यिक योग्यता एवम पत्रकार डॉ रमेश सोनसायटी, और उमेश यादव का पत्रकारिता के लिए शाल श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया गया।आभार प्रदर्शन मोहनलाल मणिकपन, “भावुक”ने किया, जबकि संचालन युवा कवि छग्गू यास अडील, एवम थानु राम निषाद ने किया।कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ श्वेता शर्मा अध्यक्ष पं.सुंदर लाल शर्मा साहित्य उत्सव समिति के मार्गदर्शन में कोमल सिंह साहू, भारत साहू, रविंद्र साहू, रामेश्वर रंगीला, संतोष कुमार साहू, किशोर कुमार निर्मलकर, श्रीमती केंवरा यदु, खेलावन साहू, सहित त्रिवेणी संगम साहित्य समिति राजिम , मंथन साहित्य समिति पांडुका, एवम पं.सुन्दरलाल शर्मा साहित्य उत्सव समिति गरियाबंद के साहित्यकारों का उल्लेखनीय योगदान रहा।

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