मध्य प्रदेश

संघ के सरकार्यवाह होसबाले ने कहा- गांधी चाहते थे हिंद स्वराज पर चर्चा हो, नेहरू ने इंकार कर दिया

‘श्रेष्ठ भारत बनाने में प्रबुद्धजन की भूमिका’ विषय पर 3 दिवसीय व्याख्यानमाला का शुभारंभ

भोपाल। भारतीय विचार संस्थान न्यास द्वारा ‘श्रेष्ठ भारत बनाने में प्रबुद्धजन की भूमिका’ विषय पर राजधानी भोपाल में आयोजित तीन दिवसीय व्याख्यानमाला के पहले दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद महात्मा गांधी चाहते थे कि हिंद स्वराज पर चर्चा हो, लेकिन तत्कालीन पीएम जवाहरलाल नेहरू ने इंकार कर दिया। नेहरू ने हिंद स्वराज को अप्रासंगिक करार दिया। इसी तरह गोपालकृष्ण गोखले, वीर सावरकर जैसी अन्य विभूतियों ने स्वतंत्र भारत कैसा होना चाहिए, इस पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। अंग्रेजों के जाने के बाद से उन विचारों पर चर्चा नहीं हुई। इसलिए हम स्वाधीन होने के बाद भी मानसिक रूप से औपनिवेशिक बने रहे।

व्याख्यानमाला के मुख्य अतिथि सीबीआई के पूर्व निदेशक ऋषि कुमार शुक्ला थे। इस अवसर पर श्री होसबाले ने कहा कि हम मिडल ईस्ट कहते हैं, क्यों कहते हैं? हमारे लिए तो यह मिडिल ईस्ट नहीं है। यूरोप के लिए यह मिडिल ईस्ट है। इस छोटी सी बात से समझ आता है कि हमारी सोच अब भी यूरोप केंद्रित है। उन्होंने कहा कि स्वाधीनता के अमृतकाल में आर्थिक, ज्ञान–विज्ञान, सामरिक और अन्य क्षेत्रों में हम अग्रणी रहें, इसके प्रयास हो रहे हैं। लेकिन श्रेष्ठ भारत होने के लिए इतना काफी नहीं है, बल्कि भारत के ‘स्व’ का जागरण करके उसके अनुरूप समाज निर्माण करना होगा। होसबाले ने कहा- भारत 75 वर्ष पुराना देश नहीं, यह हजारों वर्ष से है। पिछले कुछ दिनों में कई सांकेतिक बदलाव हुए हैं, जो संकेत देते हैं कि हम औपनिवेशिकता से बाहर निकल रहे हैं।

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