मध्य प्रदेश

धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम: हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी मध्यप्रदेश सरकार, जल्द दायर करेगी एसएलपी

भोपाल। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट द्वारा अपने अंतरिम आदेश में धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम की धारा 10 के तहत अंतरजातीय विवाह के लिए कलेक्टर के समक्ष आवेदन पेश करने की अनिवार्यता को समाप्त कर देने के मामले के खिलाफ राज्य सरकार अब सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर करेगी।

महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने बताया कि धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 1998 में भी अंतरजातीय विवाह करने के लिए जिला कलेक्टर के समक्ष आवेदन देने का प्रावधान था। संशोधित अधिनियम में पूर्व अनुसार उसे शामिल किया गया था। अंतरजातीय विवाह व धर्मांतरण प्रलोभन व दवाब में नहीं किया जाए, इसलिए यह नियम बनाया गया था। प्रशासन को इस संबंध में जानकारी होना चाहिए। ज्ञात हो कि सरकार के इस संशोधित कानून के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की गई थीं। इस पर हाईकोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में धारा 10 के तहत अंतरजातीय विवाह के लिए कलेक्टर के समक्ष आवेदन पेश करने की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया। हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ सरकार सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर करेगी। हाईकोर्ट ने संविधान अनुच्छेद 21 में शादी की स्वतंत्रता का उल्लेख करते हुए कहा है कि संविधान में प्राप्त अधिकार सभी नागरिकों के लिए हैं, परंतु किसी व्यक्ति से दवाब व प्रलोभन देकर कार्य करवाना अवैधानिक है।

Back to top button