मध्य प्रदेश

पत्रकारिता जगत के ‘भीष्म पितामह’ और पत्रकारों की पीढ़ी गढ़ने वाले पुष्पेंद्र पाल सिंह के निधन से पत्रकारिता जगत सदमे में

पीपी सर के नाम से मशहूर थे पुष्पेन्द्र पाल, मध्य प्रदेश सरकार के सभी प्रकाशन की जिम्मेदारी थी

भोपाल। पत्रकारिता जगत के भीष्म पितामह माने जाने वाले तथा हजारों पत्रकारों के पीपी सर अब नहीं रहे। सोमवार देर रात हार्ट अटैक के कारण उनका निधन हो गया। हार्ट अटैक आने के बाद उन्हें तत्काल अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों के तमाम प्रयासों के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका। उनके निधन की खबर से पूरा पत्रकारिता जगत सदमे में है। उनके पढ़ाए हुए छात्र आज देश दुनिया के लगभग सभी प्रमुख पत्रकारिता संस्थानों में अहम पदों पर हैं। कई ने प्रशासकीय सेवा भी ज्वाइन की हुई है। पुष्पेंद्र पाल सिंह माखनलाल माखन लाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में पत्रकारिता विभाग के एचओडी थे। वे छात्रों की हमेशा मदद करते थे। मध्यप्रदेश सरकार की भी कई जिम्मेदारियां उनके पास थीं।

ऐसे थे स्टूडेंट के पीपी सर…

स्टूडेंट की मदद के लिए हमेशा तत्पर रहने वाले पुष्पेंद्र पाल सिंह को शायद ही कोई उनके पूरे नाम से जानता या बुलाता था। कई बार स्टूडेंट के पास फीस के पैसे नहीं होने पर उन्होंने खुद ही फीस भी भरी है। ऐसा कहा जाता है कि अगर कोई छात्र रात को 12 बजे भी उन्हें फोन करके कह दे कि सर, मैंने आज खाना नहीं खाया तो चाहे ठंड हो या बारिश हो वो खुद खाना लेकर छात्र के पास पहुंच जाते थे। ऐसी शख्सियत थे पीपी सर।

पत्रकारिता विभाग के एचओडी थे पुष्पेंद्र पाल सिंह

पीपी सर भोपाल स्थित माखन लाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में पत्रकारिता विभाग के विभागाध्यक्ष रह चुके हैं। 2015 में वे मध्य प्रदेश जनसंपर्क विभाग में मुख्यमंत्री के ओएसडी नियुक्त हुए। उनके पास मध्य प्रदेश सरकार के सभी प्रकाशन की जिम्मेदारी थी। वे सरकार के रोजगार अखबार ‘रोजगार और निर्माण’ के संपादक भी थे। पीपी सर का ऑफिस भोपाल के मध्य प्रदेश माध्यम में था। उनके ऑफिस उनसे मिलने आने वालों की हमेशा भीड़ लगी रहती थी। इसमें सिर्फ छात्र ही नहीं बल्कि देश दुनिया के वरिष्ठ पत्रकार-संपादक, फिल्म सेलिब्रिटी, एनजीओ से जुड़े लोग और हकों की आवाज उठाने वाले लोग भी शामिल होते थे। वे सबको सही सुझाव देते थे और हर संभव मदद करते थे। उनकी प्रसिद्धि का आलम यह था कि हर साल 8 अक्टूबर को उनके जन्मदिन पर देश भर से उनके पढ़ाए स्टूडेंट का जमावड़ा उनके गुलमोहर कॉलोनी स्थित घर पर होता था। यही कारण है कि आज उनके निधन पर पत्रकारिता जगत में शोक और दु:ख का माहौल है।

सीएम शिवराज ने ट्वीट कर शोक जताया

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार सुबह ट्वीट करते हुए लिखा- हिंदी पत्रकारिता जगत के लिए बड़ी क्षति। श्री पुष्पेंद्र पाल सिंह जी मेरे लिए एक मित्र और परिवार की तरह थे, उनका असमय जाना मेरी व्यक्तिगत क्षति है। एक योग्य, सरल और कर्मठ व्यक्तित्व, जिन्हें जो भी जिम्मेदारी दी गई, उसे उत्कृष्टता के साथ उन्होंने पूरा किया। श्री पुष्पेंद्र पाल सिंह जी अपने आप में पत्रकारिता का एक संस्थान थे। उन्होंने प्रदेश और प्रदेश के बाहर पत्रकारिता के अनेकों विद्यार्थी गढ़े। विद्यार्थियों के बीच ‘पीपी सर’ के नाम से प्रसिद्ध एक योग्य गुरु का जाना स्तब्ध कर गया। ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत श्री पुष्पेंद्र पाल सिंह जी को अपने श्री चरणों में स्थान और परिजनों को यह गहन दुख सहन करने की शक्ति प्रदान करे। वे अपने कार्यों और विचारों के माध्यम से सदैव हम सबके हृदय में रहेंगे।

कमलनाथ बोले- पुष्पेंद्र पाल सिंह व्यक्ति नहीं, संस्था थे

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शोक व्यक्त करते हुए ट्वीट कर कहा कि पत्रकारिता एवं जनसंपर्क में मध्यप्रदेश में अपना अद्वितीय स्थान रखने वाले श्री पुष्पेंद्र पाल सिंह के असमय निधन का समाचार प्राप्त हुआ। श्री सिंह व्यक्ति ही, नहीं संस्था थे। पत्रकारों की पूरी पीढ़ी तैयार करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। मैं ईश्वर से उनकी आत्मा की शांति एवं परिजनों को यह दु:ख सहने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना करता हूं।

इन कार्यों का निर्वहन कर रहे थे पीपी सर…

  • सरकार के रोजगार अखबार रोजगार और निर्माण के संपादक भी थे।
  • प्रो. पुष्‍पेंद्र पाल सिंह पब्लिक रिलेशंस सोसायटी ऑफ इंडिया (पीआरएसआई) के मप्र चैप्टर के अध्यक्ष भी थे।
  • इसके अलावा साहित्यिक-सांस्कृतिक गतिविधियों से भी उन्‍हें गहरा लगाव था।
  • 2015 में वे मध्यप्रदेश जनसंपर्क विभाग में मुख्यमंत्री के ओएसडी नियुक्त हुए।
  • माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता और संचार विश्वविद्यालय में पत्रकारिता विभाग के विभागाध्यक्ष रह चुके हैं।
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