मध्य प्रदेश

कंगना रनोट के बयान पर स्वतंत्रता संग्राम संयुक्त संगठन के सदस्यों ने भैंस के सिर पर क्राउन रखकर किया प्रदर्शन…

इंदौर। बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनोट के बयान को लेकर मध्यप्रदेश में बवाल मच गया है। स्वतंत्रता संग्राम संयुक्त संगठन के सदस्यों ने कमिश्नर आफिस के बाहर भैंस के सिर पर क्राउन पहनाकर जमकर प्रदर्शन किया। उन्होंने कमिश्नर को ज्ञापन सौंपते हुए कंगना पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।

दरअसल, कंगना का पुतला दोपहर 3 बजे जलाया जाना था, लेकिन फिर 4.15 बजे संगठन के कार्यकर्ता, जिसमें स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिवारों की महिलाएं भी शामिल थीं। सभी वहां पहुंचे और कंगना का पुतला जलाया। स्वतंत्रता संग्राम संयुक्त संगठन के प्रदेश अध्यक्ष अजय सीतलानी ने बताया कि आजादी के लिए स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने बलिदान दिया। कइयों को मृत्युदंड भी मिला। ऐसे में कंगना ने इस बयान में उनकी तौहीन की है। जब तक कंगना माफी नहीं मांगती, तब तक विरोध जारी रहेगा। बाद में कार्यकर्ता कमिश्नर ऑफिस पहुंचे। कमिश्नर के नाम ज्ञापन दिया।

इधर, युवक कांग्रेस अध्यक्ष रमीज खान के नेतृत्व में कार्यकर्ता भैंस को लेकर गांधी प्रतिमा पहुंचे। यहां भैंस को बेवकूफी का ताज पहनाकर और पद्मश्री अवॉर्ड थमाकर विरोध जताया। इसके साथ ही कंगना के पोस्टर्स को पैरों तले रौंदा। कार्यकर्ताओं ने कहा कि कंगना को देश ने बहुत प्यार दिया, लेकिन उन्होंने आजादी के लिए दिए गए बलिदान का अपमान किया है। उसने सत्ता की चापलूसी करते हुए यह बयान दिया जो निंदनीय है। इंदौर आने पर कंगना का मुंह काला कर देशद्रोह का केस दर्ज कराया जाएगा। उन्होंने मांग की कि कंगना से पद्मश्री सम्मान वापस लिया जाए।

उधर, अखिल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारी संगठन के प्रदेश अध्यक्ष मदन परमालिया ने कंगना के उस बयान की घोर निंदा की है, जिसमें कंगना ने कहा कि 1947 में हमें आजादी नहीं भीख मिली थी और असली आजादी 2014 में मिली है। परमालिया ने इसे देशद्रोह बताया। उन्होंने कहा कि कंगना को देश से माफी मांगनी चाहिए क्योंकि ये देश, स्वाधीनता संग्राम सेनानी, शहीदों, वीरों का अपमान है।

संगठन की मांग है कि कंगना को दिया गया पद्मश्री सम्मान वापस लिया जाए अन्यथा देश भर में स्वतंत्रता संग्राम सैनानी एवं उत्तराधिकारी आंदोलन करेंगे। कंगना ने देश से माफी नहीं मांगी तो देशवासियों से उनकी फिल्मों का बहिष्कार करने की अपील की जाएगी और पुतले भी फूंके जाएंगे। देश में कोई भी अपनी विचारधारा रख सकता है, लेकिन इतिहास और तथ्यों के साथ खिलवाड़ करने की इजाजत नहीं है।

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