छत्तीसगढ़

सड़कों पर कभी नजर-ए-इनायत कीजिए नगर निगम सरकार……..

कोरबा {गेंदलाल शुक्ल} । हे! नगर निगम सरकार… आप धन्य हैं। आपकी कृपा से समूचे नगर निगम क्षेत्र का अद्भुत उत्थान हो रहा है। आपके स्पर्श मात्र से गली गली और कूचे कूचे में व्याप्त समस्या रूपी अहिल्या का उद्धार हो रहा है। यह आपकी महानता ही है, कि सीएसईबी, एसईसीएल, पीडब्ल्यूडी, सिंचाई विभाग तक की सड़कें “हेमामालिनी” की गाल की तरह चिकनी हो रहीं हैं। आप साधुवाद ! के पात्र हैं।

लेकिन, हे! कोरबा के भाग्य विधाता, आपसे मुझे एक शिकायत है। क्या पूछा आपने? मैं कौन? प्रभु, मैं भी आपकी रियाया हूँ। आप मुझे जानेंगे भी कैसे? आप तो पुष्पक विमान में सवार होकर, वायु मार्ग से अपने साम्राज्य का भ्रमण करते हैं। प्रभु, मैं तो निर्बल- अबला- गरीब, सिटी कोतवाली से पवन टाकीज तक टाट के पैबन्द में लिपटी काली-कलूटी दुखियारी सड़क हूँ। बड़ी आस के साथ आपके आगमन की प्रतीक्षा कर रही हूँ।

हे! कृपा निधान…. एक बार, इस दुखियारी पर भी तो नजर-ए-इनायत कीजिए..! सच मानिये, चाहें तो नगर निवासियों से तस्दीक कर लीजिए। कभी मैं भी “हेमा” जी की गाल की तरह चिकनी और खूबसूरत थी, लेकिन क्या करूँ, निर्मल बाबा के कहने के बाद भी पिछले चार-पांच बरस से आपकी कृपा ने मुझ पर बरसना ही बंद कर दिया है। जरा देखिए तो सही, मेरी देह छलनी छलनी हो गई है। जगह-जगह गड्ढे हो गए हैं। ईंट-पत्थर के टुकड़ों से अपनी इज्जत ढंक कर दिन गुजार रही हूं। प्रभु, आप तो आप, आपके दूत- भूत भी जमीन पर नहीं चलते। आपकी कृपा से उन सबने भी पुष्पक विमान की पात्रता हासिल कर ली है।

वाह प्रभु! ये तो आपकी खुशकिस्मत रियाया है कोरबा की, जो सड़क पर चलते हुए भी सावन झूले का मजा उठाती है। हे दया निधान! लगता है इन दिनों आप, दीपिका पर ज्यादा रीझे हुए हैं। इसीलिए अपनी इस पुरानी दासी को बिसार बैठे हैं। कोई बात नहीं दयासागर। कलयुग की यही निशानी है। गोया, रामचंद्र भी तो कह गये सिया से……ऐसा कलयुग आएगा…….

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