मध्य प्रदेश

भारत का पारंपरिक खेल ‘कबड्डी’ अब अंतरराष्ट्रीय प्लेटफॉर्म पर सबसे पसंदीदा खेल बना

भोपाल। कबड्डी एक ऐसा भारतीय खेल है जिसे हर गली-मोहल्ले में बच्चों द्वारा खेलते हुए देखा जा सकता है। कबड्डी नाम का प्रयोग प्राय: उत्तर भारत में किया जाता है। कबड्डी के इतिहास को लेकर भारत में इसकी प्राचीनता को वैदिक काल से जोड़ा जाता है और माना जाता है कि इस खेल की शुरूआत भारत में हुई। भारत में क्रिकेट बहुत लोकप्रिय है, लेकिन वर्तमान में कबड्डी एक ऐसा पारंपरिक खेल है जिसने अंतराष्ट्रीय प्लेटफॉर्म पर अपनी पहचान बनाई है।

इस खेल को पहली बार वर्ष 1936 में बर्लिन ओलिंपिक में शामिल किया गया था। कबड्डी वर्ल्ड कप की शुरूआत वर्ष 2004 में की गई थी। आईपीएल क्रिकेट की तर्ज पर वर्ष 2014 में कबड्डी लीग खेला गया। खेल के अंतरराष्ट्रीय प्रारूप में दो टीमों के 7 खिलाड़ी आपस में भिड़ते हैं और जिसके भी ज्यादा अंक होते हैं, वो विजयी होता है। पुरूषों के मैच में फील्ड का आकर 10×13 मी. होता है, वहीं महिलाओं के लिए ये 8×12 मी. होता है। हर टीम के पास तीन रिज़र्व खिलाड़ी होते हैं, जिनका इस्तेमाल परिस्थिति के हिसाब से किया जाता है। खेल का हर एक हाफ 20 मिनट का होता है और हाफ टाइम के 5 मिनट के ब्रेक के बाद टीमें साइड बदल लेती हैं।

हर टीम अपना रेडर दूसरी टीम के हाफ में भेजती है। रेडर को पॉइंट जीतने के लिए अपनी साँस को थाम कर रखते हुए विरोधी टीम के अधिक से अधिक खिलाडियों को छूना होता है और फिर बिना साँस लिए अपने हाफ में आना होता है। रेडर को रेड के दौरान ‘कबड्डी-कबड्डी’ बोलना होता है, जिससे कि रेफरी को लगे कि वो एक ही साँस में रेड कर रहा है। रेडर अगर साँस बाहर छोड़ता है या अपने हाफ में आने में असफल रहता है, तो उसे बाहर कर दिया जाता है। विरोधी टीम के उन खिलाड़ियों को भी बाहर किया जाता है, जो टैग होने के बाद उस रेडर को अपने हाफ में जाने से नहीं रोक पाते। डिफेंडर्स का यही काम होता है कि वो किसी भी तरह से रेडर को पछाड़ सकें। डिफेंडर्स को सेंट्रल लाइन पार करने की अनुमति नहीं होती, ठीक उसी तरह रेडर को बाउंड्री लाइन पार करने की अनुमति नहीं होती। हालाँकि एक बोनस लाइन भी होती है, जिसे छूकर अगर रेडर अपने हाफ में लौट आता है तो उसे बोनस पॉइंट्स मिलते हैं। जिन खिलाडियों को रेफरी द्वारा बाहर किया जाता है वो कुछ देर मैच में नहीं होते। एक प्लेयर के आउट होने पर एक पॉइंट मिलता है और अगर पूरी टीम बाहर हो जाए तो दूसरी टीम को 3 बोनस पॉइंट मिलते हैं। खेल के अंत में जिस टीम के सबसे अधिक पॉइंट्स होते हैं, वो विजयी होती है।

इतने तरीके से खेली जाती है कबड्‌डी

भारतीय अमेच्योर कबड्डी फेडरेशन के अनुसार कबड्डी कई तरह से खेली जाती है। संजीवनी स्टाइल कबड्डी में विरोधी टीम के एक प्लेयर के आउट होने पर दूसरी टीम का एक प्लेयर वापस आ जाता है। ये खेल 40 मिनट का होता है, जिसमें दोनों हाफ के बीच 5 मिनट का ब्रेक होता है। हर टीम में 7 खिलाड़ी होते हैं और दूसरी टीम के सभी खिलाडियों को आउट करने पर 4 पॉइंट मिलते हैं। गामिनी स्टाइल कबड्डी में भी एक टीम में 7 खिलाड़ी होते हैं और अगर खिलाड़ी आउट होता है तो वो तब तक वापस नहीं आ सकता जब तक उसकी पूरी टीम आउट न हो जाए। इस खेल में कोई समय सीमा नहीं होती और खेल तब तक चलता है जब तक कि ऐसे 5 या 7 पॉइंट कोई टीम अर्जित न कर ले। अमर स्टाइल कबड्डी में भी गामिनी कि तरह ही समय सीमा नहीं होती, लेकिन इसमें आउट होने वाला खिलाड़ी खेल में रहता है और एक टैग होने पर एक पॉइंट मिलता है।

सर्किल स्टाइल कबड्डी: पंजाबी कबड्डी की शुरुआत पंजाब से हुई थी। इसे पंजाबी सर्किल स्टाइल कबड्डी भी कहा जाता है। राज्य और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे खेला जाता है और अमेच्योर कबड्डी फेडरेशन इसे निर्धारित करती है। लम्बी कबड्डी, सौंची कबड्डी, गूंगी कबड्डी और इसी तरह इसके 19 पारंपरिक प्रकार हैं। पंजाबी कबड्डी को कबड्डी विश्व कप और वर्ल्ड कबड्डी लीग जैसे अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में इस्तेमाल किया जाता है।

लम्बी कबड्डी: लम्बी कबड्डी में 15-20 फीट के गोल फील्ड में 15 खिलाड़ी भाग लेते हैं। इसमें कोई रेफरी और लिमिट नहीं होती। खिलाड़ी जितनी चाहे उतनी दूर भाग सकते हैं। रेडर को रेडिंग के दौरान ‘कबड्डी- कबड्डी’ बोलना पड़ता है। बाकी सारे नियम अमर कबड्डी की तरह होते हैं।

सौंची कबड्डी: सौंची कबड्डी बॉक्सिंग की तरह होती है। ये पंजाब के मालवा क्षेत्र में प्रसिद्ध है। गोल क्षेत्र में अनगिनत खिलाड़ी खेलते हैं। मैदान में एक बाँस लगा होता है, जिसमें लाल कपड़ा बंधा होता है। इसमें रेडर डिफेंडर की चेस्ट पर हमला करता है। डिफेंडर को सिर्फ रेडर की कलाई पकड़ने की इज़ाज़त होती है और बाकी कहीं टच होने पर फ़ाउल हो जाता है। अगर रेडर कलाई छुड़ा ले तो वो विजेता नहीं तो डिफेंडर विजयी होता है।

गूंगी कबड्डी: गूंगी कबड्डी में रेडर को सिर्फ एक बार चिल्ला कर ‘कबड्डी’ बोलना होता है और विरोधी टीम के खिलाड़ी को टच करना होता है। अगर डिफेंडर उसे हाफ तक न जाने दे, तो उसकी टीम को पॉइंट मिलता है और अगर रेडर हाफ तक पहुँच जाए तो रेडर की टीम को पॉइंट मिलता है।

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