नई दिल्ली

सोशल मीडिया और OTT के लिए गाइडलाइंस जारी, शिकायत पर यूजर को कंटेंट हटाने के लिए मिलेंगे 24 घंटे …

नई दिल्ली (पंकज यादव) । केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि कोर्ट या सरकार अगर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से शरारती संदेश को लेकर जानकारी मांगती है वह देना होगा। इसमें सबसे पहले पोस्ट करने वाले यूजर की जानकारी भी मांगने पर देनी पड़ेगी। साथ ही केंद्रीय कानून मंत्री और यदि आप किसी भी सोशल मीडिया यूजर के कंटेंट को निष्क्रिय करना चाहते हैं, तो आपको उसे कारण बताने होंगे और उसे सुनना भी होगा।

उन्होंने कहा कि भारत में हर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का स्वागत है, लेकिन इसमें दोहरे मापदंड नहीं होने चाहिए। यदि कैपिटल हिल पर हमला होता है, तो सोशल मीडिया पुलिस की कार्रवाई का समर्थन करता है, लेकिन जब लाल किले पर आक्रामक हमला होता है, तो आपके पास दोहरे मानक हैं। यह स्पष्ट रूप से स्वीकार्य नहीं है।

उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया को लेकर बनाए गए कानूनों को 3 महीने के भीतर लागू किया जाएगा, ताकि वे अपने तंत्र में सुधार कर सकें। बाकी नियमों को अधिसूचित किए जाने के दिन से लागू होगा।

आपको बता दें कि केंद्रीय मंत्रियों रविशंकर प्रसाद और प्रकाश जावड़ेकर ने सोशल मीडिया पर डिजिटल सामग्री को लेकर नए नियमों के दिशानिर्देश जारी किए। इस दौरान उन्होंने कहा, “सोशल मीडिया के बड़े पैमाने पर दुरुपयोग के बारे में वर्षों से चिंताएं हैं। मंत्रालय ने व्यापक विचार-विमर्श किया। हमने दिसंबर 2018 में एक मसौदा तैयार किया था।”

फेसबुक, ट्विटर सहित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी शिकायत निवारण तंत्र रखने का आदेश दिया गया है, जिसके तहत उन्हें एक शिकायत अधिकारी का नाम देना आवश्यक है जो शिकायत को 24 घंटे के भीतर दर्ज करें और 15 दिनों में निस्तारण करें।

नए दिशानिर्देश सभी ओटीटी प्लेटफार्मों पर सामग्री के खुद से क्लासिफाइड करना भी अनिवार्य करते हैं। यह जानकारी प्रकाश जावड़ेकर ने दी। उन्होंने कहा कि इसके लिए 13+, 16+ और A (अडल्ट) श्रेणियां होंगी। ब्रीफिंग के दौरान उन्होंने कहा, “माता-पिता का एक तंत्र होना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चे ऐसे वीडियो नहीं देखें।” उन्होंने यह भी बताया कि ओटीटी और डिजिटल मीडिया को सूचना और प्रसारण मंत्रालय देखेगा और इंटरमीडरी प्लेटफॉर्म का संज्ञान आईटी मंत्रालय लेगा।

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