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अनुसूचित जाति एवं जनजाति, स्कूल शिक्षा एवं सहकारिता विभाग के 48,093 करोड़ से अधिक की अनुदान मांगे पारित …

रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा में आज आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास, स्कूल शिक्षा और सहकारिता मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम के विभाग के लिए वित्तीय वर्ष 2023-24 हेतु 48093 करोड़ 99 लाख 32 हजार रूपए की अनुदान मांगे ध्वनि मत से पारित की गई। इसमें आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विभाग के लिए 40468 करोड़ 4 लाख 80 हजार रूपए, स्कूल शिक्षा के लिए 7 हजार 338 करोड़ 97 लाख 29 हजार रूपए और सहकारिता विभाग के लिए 286 करोड़ 97 लाख 23 हजार रूपए की राशि शामिल है।

मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने विभागीय बजट पर चर्चा का उत्तर देते हुए बताया कि स्कूली बच्चों को उत्कृष्टतापूर्ण शिक्षा देना हमारी सरकार की प्राथमिकता है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशानुरूप सत्र 2021-22 में 52 स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल प्रारंभ किए गए। ये विद्यालय इतने लोकप्रिय हुए कि स्कूलों में बच्चों के लिए उपलब्ध एक-एक सीट के लिए 40-40 आवेदन प्राप्त हुए। इतना ही नहीं बहुत से निजी विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों को माता-पिता ने इन स्कूलों में भर्ती कराया। इन स्कूलों की लोकप्रियता को देखते हुए शासन ने लगातार स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालयों की संख्या में वृद्धि की और वर्तमान में 247 अंग्रेजी माध्यम तथा 32 हिन्दी माध्यम विद्यालय संचालित हो रहे हैं। 247 अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में 01 लाख 30 हजार अंग्रेजी माध्यम और लगभग 90 हजार हिन्दी माध्यम के विद्यार्थी अध्ययनरत् हैं। हिन्दी माध्यम के 32 विद्यालयों में लगभग 24 हजार विद्यार्थी अध्ययनरत् हैं।

मंत्री डॉ. टेकाम ने कहा कि स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों की लोकप्रियता इस बात से भी प्रमाणित होती है कि दूरस्थ अंचलों में होने वाले भेंट-मुलाकात कार्यक्रमों में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के समक्ष अनेक स्थानों पर नवीन अंग्रेजी माध्यम स्कूल प्रारंभ करने की मांग आई है। इस मांग की पूर्ति के लिए आगामी वर्ष में बजट में 101 स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम विद्यालय प्रावधानित किए गए हैं। इससे लगभग 60 हजार नवीन बच्चों को अंग्रेजी माध्यम में पढ़ने का मौका मिलेगा। आगामी बजट में स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों के लिए 870 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। इसके अतिरिक्त बड़ी संख्या में स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट हिन्दी माध्यम विद्यालय भी प्रारंभ किए जाएंगे।

मंत्री डॉ. टेकाम ने बताया कि राज्य सरकार ने सभी महापुरूषों के प्रति सम्मान रखते हुए यह निर्णय लिया है कि यदि किसी विद्यालय को स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम विद्यालय में परिवर्तित किया जा रहा है एवं संबंधित विद्यालय का पूर्व में नामकरण किया जा चुका हो तो उसे नहीं बदला जाएगा, बल्कि पूर्व से संचालित विद्यालय के नाम के पश्चात् ‘‘स्वामी आत्मानंद योजना के अंतर्गत’’ शब्द जोड़े जाएंगे।

मंत्री डॉ. टेकाम ने कहा कि बच्चों की शैक्षणिक गतिविधियों के लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने कई नवाचार किए। कोरोना काल में बुल्टू के बोल, मोहल्ला क्लास, लाउडस्पीकर वाले गुरूजी, श्यामपट वाले गुरूजी, अंगना म शिक्षा के माध्यम से शैक्षणिक गतिविधियों को बनाए रखा। छत्तीसगढ़ में बच्चों के शैक्षणिक स्तर को बचाए रखने में काफी हद तक सफल रहे। इसका प्रमाण ‘असर सर्वे’ की रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश, गुजरात, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक जैसे राज्यों में बच्चों के पढ़ने के स्तर में काफी गिरावट आई है, उसकी तुलना में छत्तीसगढ़ के बच्चों का असर काफी अच्छा रहा। कोरोना महामारी के कारण शैक्षणिक अधिगम के स्तर में आई कमी को दूर करने के लिए विश्व बैंक के समर्थन से 2500 करोड़ रूपए की चॉक परियोजना शुरू कर रहे हैं। इस परियोजना के लिए वर्ष 2023-24 में 400 रूपए का प्रावधान किया गया है।

मंत्री डॉ. टेकाम ने बताया कि एससीईआरटी के माध्यम से शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाता है। जिन शिक्षकों ने अपने विद्यालय को उत्कृष्ट बनाने के लिए प्रशिक्षण चाहा था उन्हें प्रशिक्षण दिया गया। कुछ शिक्षकों ने मांग की उन्हें राष्ट्रीय स्तर का अकादमिक एवं प्रशासनिक प्रशिक्षण की आवश्यकता है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए आगामी सत्र के लिए नवा रायपुर में राष्ट्रीय स्तर का शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान हेतु बजट में एक करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है।

विद्यार्थियों में बुनियादी दक्षताओं को प्राप्त करने के लिए विभाग द्वारा ‘सुघ्घर पढ़वैय्या’ योजना प्रारंभ की गई है। योजना का मूलभाव यह है कि विद्यार्थियों को उनके प्रारंभिक वर्षों में अर्थात् 8 वर्ष की आयु तक समझ के साथ पढ़ना और जोड़ना, घटाना, गुणा-भाग आदि को करने में दक्षता हासिल करना। यह योजना कक्षा पहली से 8वीं तक विद्यार्थियों के लिए है। अभी तक 48 हजार 501 विद्यालयों में से 39009 विद्यालयों में इस चुनौती को स्वीकार किया है। थर्ड पार्टी आकलन के लिए 3880 विद्यालयों ने अनुरोध किया है। इनमें से 630 विद्यालयों का आकलन एससीईआरटी द्वारा किया जा रहा है।

मंत्री डॉ. टेकाम ने कहा कि प्रदेश की शालाओं में उच्च स्तर की अधोसंरचनात्मक सुविधाएं विकसित करने के लिए हमारी सरकार ने ‘मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना’ शुरू की है। इससे शीघ्र ही विद्यालयों को नये भौतिक स्वरूप में देखेंगे। इस योजना के लिए बजट में 500 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। नवीन सत्र में विद्यार्थी अपने विद्यालय के सुसज्जित भवन में नई उमंग के साथ पढ़ने जाएंगे। योजना के तहत 20408 विद्यालय चिन्हित किए गए हैं, जहां मरम्मत व अतिरिक्त कक्षों की व्यवस्था की जाएगी। इसके लिए जिलों को अब तक 193 करोड़ की राशि विमुक्त की जा चुकी है। सभी जिलों से 31 मार्च तक जानकारी मंगाई गई है, ताकि स्कूल सत्र शुरू होने से पूर्व स्कूलों को सुसज्जित किया जा सके।

मंत्री डॉ. टेकाम ने कहा कि विज्ञान विषय लेकर पढ़ने वाले प्रत्येक विद्यार्थी का सपना रहता है कि वह अच्छे मेडिकल या इंजीनियरिंग संस्थान में एडमिशन ले। इसके लिए बच्चे स्कूली पढ़ाई के साथ-साथ विभिन्न कोचिंग संस्थान में कोचिंग हेतु जाते हैं। राजस्थान के कोटा में संचालित कोचिंग संस्थानों ने पूरे देश में पहचान बनाई है। हमारे प्रदेश से भी बड़ी संख्या में बच्चे कोचिंग के लिए कोटा जाते हैं, परन्तु बहुत से गरीब परिवारों के बच्चे इस सुविधा से वंचित हो जाते हैं। अतः आर्थिक रूप से कमजोर बच्चे कोटा राजस्थान में जाकर कोचिंग ले सकें, इसके लिए सरकार ने वहां छात्रावास निर्माण करने की योजना रखी है। सत्र 2023-24 के लिए 25 लाख के बजट का प्रावधान किया गया है। इसके लिए राजस्थान सरकार से जमीन की मांग की गई है।

मंत्री डॉ. टेकाम ने बताया कि हमारी सरकार ने नौनिहालों की नींव मजबूत करने के उद्देश्य से प्रदेश में 5 हजार 173 बालवाड़ी 2022-23 में प्रारंभ किए हैं। बालवाड़ी में 5 से छह वर्ष के बच्चों को प्रवेश दिया गया है और यह आंगनबाड़ी तथा कक्षा पहली के बीच सेतु का कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष पूरा विश्व ‘मिलेट्स ईयर’ मना रहा है। छत्तीसगढ़ सरकार को मिलेट्स में की गई पहल के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली है। इसी कड़ी में स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा मध्यान्ह भोजन योजना में मिलेट्स को शामिल करने का निर्णय लिया गया है, ताकि बच्चों को कुपोषण से मुक्ति में सहायता मिले। मंत्री डॉ. टेकाम ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में कभी भी शिक्षकों की सीधी भर्ती नहीं की गई थी। हमारी सरकार ने शिक्षा को प्राथमिकता देते हुए 10834 शिक्षकों की भर्ती की है और आने वाले समय में भी आवश्यकतानुसार शिक्षकों की भर्ती की जाएगी।

मंत्री डॉ. टेकाम ने सहकारिता विभाग की अनुदान मांगों पर चर्चा का उत्तर देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री बघेल की सरकार बनते ही दो घंटे के भीतर किसानों की ऋण माफी की। सरकार की नीतियों के कारण किसानों का सरकार के प्रति विश्वास बढ़ा है। सहकारी समितियों के माध्यम से गोपालन के लिए 2 लाख रूपए की सीमा तक 01 प्रतिशत एवं 2 से 3 लाख रूपए तक तीन प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है। लाख उत्पादकों को दो लाख रूपए की सीमा तक और मत्स्य पालन, उद्यानिकी कार्य हेतु तीन लाख रूपए की सीमा तक शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है। विभाग की इस योजना के फलस्वरूप ऋण लेने वाले किसानों की संख्या में वृद्धि हो रही है। वर्ष 2021-22 में 12 लाख 99 हजार कृषकों को 5 हजार 458 करोड़ रूपए का अल्पकालीन ऋण उपलब्ध कराया गया था। वर्ष 2022-23 में 14 मार्च तक लगभग 14 लाख 10 हजार किसानों को 6 हजार 434 करोड़ रूपए का अल्पकालीन ऋण सहकारी समितियों से उपलब्ध कराया गया है, जो विगत वर्ष की अपेक्षा लगभग 18 प्रतिशत अधिक है। कृषक ऋण ब्याज दर युक्तियुक्तकरण के लिए वित्तीय वर्ष 2023-24 में 290 करोड़ रूपए का प्रावधान प्रस्तावित किया गया है।

मंत्री डॉ. टेकाम ने प्रदेश में संचालित 1333 प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों का पुनर्गठन कर 725 नवीन प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियां गठित की गई है। इस तरह प्रदेश में कुल 2058 प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियां संचालित हैं। प्रदेश में प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के पुनर्गठन के लिए फलस्वरूप नवीन पंजीकृत 725 प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों में 200 मीट्रिक टन क्षमता का गोदाम सह-कार्यालय निर्माण के लिए प्रति गोदाम 25.56 लाख रूपए की लागत से कुल 185 करोड़ 31 लाख की परियोजना स्वीकृत की गई है। इसके लिए वर्ष 2023-24 में 34 करोड़ 16 लाख रूपए का प्रावधान किया गया है।

मंत्री डॉ. टेकाम ने आदिम जाति, अनुसूचित जाति विकास विभाग की अनुदान मांगों की चर्चा पर उत्तर देते हुए कहा कि वर्ष 2022-23 की तुलना में वर्ष 2023-24 के बजट प्रावधान में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। मुख्य बजट वित्तीय वर्ष 2022-23 में 2347 करोड़ 70 लाख का प्रावधान था, जिसमें 628 करोड़ 65 लाख की वृद्धि हुई है। वर्ष 2023-24 के मुख्य बजट में 2976 करोड़ 35 लाख रूपए का प्रावधान रखा गया है। इस प्रकार प्रावधानित बजट में 26.77 प्रतिशत की वृद्धि परिलक्षित हुई है। इसी प्रकार आदिवासी उपयोजना एवं अनुसूचित जाति उपयोजना के माध्यम से विभिन्न सेक्टरों में विकास कार्यों का गति प्रदान करने के लिए वित्तीय वर्ष 2023-24 में राज्य के मुख्य बजट में आदिवासी उपयोजना मद अंतर्गत कुल बजट प्रावधान 26168 करोड़ 69 लाख 45 हजार शामिल है। इसी तरह अनुसूचित जाति उपयोजना मद वर्ष 2023-24 में कुल बजट प्रावधान 8276 करोड़ 15 लाख 02 हजार रूपए शामिल है।

अनुसूचित जनजाति उपयोजना तथा अनुसूचित जाति उपयोजना मदों में वर्ष 2022-23 की तुलना में वर्ष 2023-24 के मुख्य बजट प्रावधान में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। अनुसूचित जनजाति उपयोजना मुख्य बजट प्रावधान वर्ष 2022-23 में 21492 करोड़ 34 लाख 10 हजार रूपए था। वर्ष 2023-24 में 26168 करोड़ 69 लाख 45 हजार का प्रावधान किया गया है। इसमें तुलनात्मक वृद्धि 4676 करोड़ 35 लाख 35 हजार रूपए हुई है, जो 21.75 प्रतिशत है। इसी प्रकार अनुसूचित जाति उपयोजना मद में गत वर्ष के मुख्य बजट की तुलना में वर्ष 2023-24 के मुख्य बजट प्रावधान में 22.67 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वर्ष 2022-23 के मुख्य बजट में 6746 करोड़ 44 लाख 40 हजार रूपए का प्रावधान था। वर्ष 2023-24 में 8276 करोड़ 15 लाख 2 हजार रूपए का प्रावधान किया गया है। इसमें तुलनात्मक वृद्धि 1529 करोड़ 70 लाख 62 हजार रूपए परिलक्षित हुई है।

मंत्री डॉ. टेकाम ने बताया कि वर्ष 2023-24 के मुख्य बजट में नवीन मद के रूप में 15 पोस्ट मैट्रिक छात्रावासों की स्थापना के लिए 01 करोड़ 43 लाख रूपए का प्रावधान किया गया है। अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए हर जिले में पोस्ट मैट्रिक छात्रावास खोले जाएंगे।

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