मध्य प्रदेश

फर्जी जाति प्रमाण पत्र से चुनाव लड़ा, कोर्ट ने दिए भाजपा विधायक जसपाल सिंह उर्फ जज्जी पर एफआईआर दर्ज करने के निर्देश, विधायकी भी होगी खत्म ….

भोपाल। हाई कोर्ट ने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक विधायक जसपाल सिंह उर्फ जज्जी का जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया है। साथ ही अशोकनगर एसपी को फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाने के मामले में विधायक पर एफआईआर दर्ज करने के निर्देश भी दिए हैं। हाईकोर्ट ने ₹50000 का जुर्माना भी लगाया है। इस मामले में जजपाल जज्जी ने कहा कि हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ वह सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। यह कानूनी प्रक्रिया है, इसलिए उसी तरीके से लड़ा जाएगा। हाईकोर्ट की एकल पीठ ने विधायक की विधानसभा सदस्यता खत्म करने के लिए भी स्पीकर गिरीश गौतम को पत्र लिखा है। दरअसल, अशोक नगर विधायक ने अनुसूचित जाति के प्रमाण पत्र का उपयोग कर आरक्षित सीट से चुनाव लड़ा था और जीता भी था। जजपाल सिंह जज्जी ने ग्वालियर अंचल की अशोकनगर सीट से साल 18 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था। उन्होंने भाजपा के लड्डूराम कोरी को हराया था। चुनाव हारने के बाद लड्डूराम ने हाई कोर्ट में जजपाल सिंह के जाति प्रमाण पत्र के खिलाफ याचिका दायर की थी। हालांकि, इसके बाद जज्जी ने साल 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़ दी थी। फिर भाजपा के टिकट पर उप चुनाव जीता था, जबकि यह केस 2018 के चुनाव के मामले से जुड़ा है।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता संगम जैन ने बताया बताया कि याचिका के साथ जजपाल सिंह के बनवाए सभी जाति प्रमाण पत्रों को पेश किया गया है। जजपाल जज्जी ने कीर जाति का प्रमाण पत्र बनवाया था। यह जाति पंजाब प्रांत में अनुसूचित जाति की श्रेणी में आती है, लेकिन मध्यप्रदेश में यह सामान्य वर्ग में आती है। इसलिए जजपाल सिंह को मध्यप्रदेश में आरक्षण नहीं दिया जा सकता है। वह मूल रूप से पंजाब के रहने वाले हैं और इनका प्रमाण पत्र वहीं बनेगा तथा उसी राज्य में लागू होगा। पहले जाति प्रमाण पत्र को लेकर दायर याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की एकल पीठ के जज जीएस अहलूवालिया ने प्रमाण पत्र को गलत पाते हुए निरस्त कर दिया। साथ ही अशोक नगर एसपी को विधायक जजपाल सिंह जज्जी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं।

हाईकोर्ट की एकल पीठ ने अशोक नगर विधायक के खिलाफ धोखाधड़ी की एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया। साथ ही मध्य प्रदेश विधानसभा के स्पीकर को लिखा कि इस विधायक की सदस्यता को खत्म किया जाए। हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब अशोक नगर विधायक और सिंधिया समर्थक जजपाल सिंह   सदस्यता खत्म हो सकती है।

जज्जी कभी सिख, कभी कीर तो कभी नट बने

– 1994 से 1999 तक जनपद सदस्य रहे, जिसमें खुद को सामान्य सिख वर्ग का बताया।

– 20 अप्रैल 1999 को कृषि उपज मंडी सदस्य के अनारक्षित पद पर नामांकन दाखिल किया। इसी साल जनपद सदस्य के अनारक्षित पद के लिए भी नामांकन भरा, लेकिन दोनों ही चुनाव नहीं लड़े।

–  2 दिसंबर 1999 को पिछड़ा वर्ग का साबित करने के लिए कीर जाति का सर्टिफिकेट बनवाया। इसके आधार पर अशोक नगर नपाध्यक्ष का चुनाव लड़ा और जीता।

राज्य स्तरीय हाई पावर कास्ट स्क्रुटनी कमेटी के आदेश पर 25 फरवरी 2004 को जज्जी का कीर जाति का सर्टिफिकेट निरस्त किया गया। हालांकि, तब तक वह अशोकनगर नपा अध्यक्ष का कार्यकाल पूरा कर चुके थे।

–  जिला पंचायत सदस्य के लिए अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट पर नामांकन भरा और खुद को नट जाति का बताया। एक नया अजा का जाति प्रमाण पत्र पेश कर दिया था

–  2008 में जज्जी ने एक बार फिर नट जाति का प्रमाण पत्र बनवाया। पहले से नट जाति का प्रमाण पत्र था तो दूसरा क्यों बनवाया, इसका कारण वे अदालत को नहीं बता सके।

पंजाब से पलायन कर मध्यप्रदेश आए

जज्जी ने कोर्ट को बताया था कि उनका परिवार पंजाब में रहता था। बाद में सिंधिया रियासत के समय अशोकनगर आ गया, यहां उन्हें खेती के लिए जमीन दी गई थी। यहां पूर्वज गुरुद्वारे में अमृत चखकर सिख पंथ में शामिल हो गए थे और खेती करने लगे थे। परिवार ने पारंपरिक नाच- गाना करतब दिखाने का काम छोड़ दिया था।

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