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पीएम नरेंद्र मोदी से मिलना चाहते थे चीनी विदेश मंत्री वांग यी, क्यों नहीं हो सकी मुलाकात, जानें …

नई दिल्ली। भारत के विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर से जब यह सवाल पूछा गया तो उन्होंने बताया कि कई कारणों से चीन इस दौरे की पूर्व घोषणा नहीं चाहता था। और चूंकि द्विपक्षीय सहमति नहीं थी ऐसे में हमने भी अपनी ओर से इस दौरे का ऐलान नहीं किया था।

चीनी विदेश मंत्री यांग यी 24 मार्च की शाम दिल्ली पहुंचे थे। 25 मार्च को उन्होंने भारतीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल से बातचीत की। इसके बाद उन्होंने विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर से करीब तीन घंटे तक बातचीत की है। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट बताती है कि वांग यी पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात करना चाहते थे लेकिन साउथ ब्लॉक ने विनम्रता के साथ मना कर दिया।

सूत्रों के सवाले से बताया है कि भारत ने चीनी पक्ष को बता दिया था कि पीएम मोदी 25 मार्च को व्यस्त रहेंगे क्योंकि उन्हें उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होना था। अघोषित दौरे पर आए वांग दो साल से अधिक समय के बाद नई दिल्ली पहुंचे थे।

विदेश मंत्री जयशंकर ने साफ शब्दों में कहा है कि भारत और चीन के बीच संबंध सामान्य नहीं हैं क्योंकि समझौतों के विपरीत सीमा पर बड़ी संख्या में सैनिक तैनात हैं। उन्होंने कहा है कि सीमा पर शांति स्थिर संबंधों के लिए जरूरी है।

जयशंकर ने कहा कि जब तक इतनी बड़ी संख्या में सैनिक तैनात हैं तो सीमा पर स्थिति सामान्य नहीं है। दोनों देशों के बीच अभी भी टकराव के मुद्दे हैं। कुछ मुद्दों के समाधान की दिशा में प्रगति हुई है जिनमें पेगोंग झील क्षेत्र का मुद्दा भी शामिल है। मुद्दों के समाधान के लिए अब तक 15 दौर की बात हो चुकी है और आज यह बात हुई कि वार्ता को आगे कैसे बढाया जाये।

उन्होंने कहा कि मुद्दों के समाधान की दिशा में काम किया जा रहा है लेकिन यह बहुत धीमा है। इसे तेज किए जाने की जरूरत है क्योंकि लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर तनाव कम करने के लिए सैनिकों को विवाद की जगहों से पूरी तरह हटाया जाना जरूरी है। उन्होंने बताया है कि बॉर्डर क्षेत्र में स्थिति के समाधान के लिए कोई समय सीमा निश्चित नहीं की गई है ।

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