रायपुर

शैलेश पांडेय के प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री बघेल ने लगाई मुहर, बस्तर यूनिवर्सिटी अब महेंद्र कर्मा के नाम पर जाना जाएगा

रायपुर। बिलासपुर के विधायक शैलेश पांडेय ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मांग की थी कि बस्तर विश्वविद्यालय का नाम शहीद महेंद्र कर्मा के नाम पर किया जाना चाहिए। इस प्रस्ताव को मुख्यमंत्री ने आज स्वीकार करते हुए झीरम घाटी में शहीद हुए कांग्रेस नेताओं को श्रद्धांजलि देते हुए यह घोषणा की कि बस्तर विश्वविद्यालय को अब शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाएगा।

विधायक शैलेश पांडेय ने बस्तर विश्वविदयालय का नाम बदलकर शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय किए जाने की मांग करते हुए पत्र में लिखा था कि बस्तर आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है, जहां शहीद महेंद्र कर्मा का जन्म हुआ है, जिन्होंने जीवन भर आदिवासियों के अधिकारों की लड़ाई लड़ी। वहां पर हो रहे नक्सली हमलों के विरोध में अपनी आवाज उठाई, महेंद्र कर्मा एक लोकप्रिय जन नेता थे। वे छत्तीसगढ़ के मंत्री और विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष भी रहे है, उन्होंने बहादुरी से नक्सलियों से सामना करते हुए अपनी जन गवाई है। शहीद महेंद्र कर्मा के नाम से विश्वविद्यालय होना, उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

बता दें कि महेंद्र कर्मा एक आदिवासी राजनीतिक नेता थे, वह 2004 से 2008 तक छत्तीसगढ़ विधानसभा में विपक्ष के नेता भी रहे। सन 2005 में, उन्होंने छत्तीसगढ़ में माओवादी समूह नक्सलियों के खिलाफ सलवा जुडूम आंदोलन के आयोजन में एक शीर्ष भूमिका निभाई, वह 2000 से 2004 में राज्य गठन के बाद से अजीत जोगी कैबिनेट में उद्योग और वाणिज्य मंत्री थे। 25 मई 2013 को नक्सलियों द्वारा महेंद्र कर्मा के निर्मम हत्या कर दी गई थी।

बस्तर विश्वविद्यालय का नाम अब महेंद्र कर्मा के नाम से जाना जायेगा। आज मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस बात का ऐलान किया। झीरम हमले की 7वीं बरसी पर आज मारे गये सभी नेताओं और शहीद पुलिसकर्मियों को श्रद्धांजलि दी गयी।

इस दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस का ऐलान किया कि बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा की स्मृतियों को सहेजने के लिए बस्तर विश्वविद्यालय अब महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय के नाम से जाना जायेगा”

इस दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने झीरम के शहीदों को याद करते हुए कहा कि उन नेताओं की कमी हमेशा महसूस होती है। उन्होंने कहा कि“हमले के 7 साल गुजर चुके हैं, लेकिन आज भी कई सवालों के जवाब नहीं मिले हैं, ये एक राजनीतिक षड़यंत्र था,…शहीदों को अभी तक न्याय नहीं मिला है, लेकिन हमारी कोशिश जारी है, हमें उम्मीद है कि एक दिन सच जरूर सामने आयेगा”। वहीं प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि अभी भी हमारे नेताओं को न्याय नहीं मिला है। झीरम का सच सबसे सामने आना चाहिये।

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